आज गलती की मैंने हद कर दी

आज गलती की सारी सीमाएं लांघ दी
पिया था सब कुछ मैं
पर पिया ना कभी शराब
पीकर आज मग्न हूं
दुनिया के सारे सुख के साथ
हंस रही है दुनिया मुझ पर
ठह- ठहा मार- मार
देखो यह बन गया शराबी
रो रहे इनके घर द्वार
अपनी क्षणिक सुख के खातिर
अपने बच्चों को भूखा सुलाया
अपनी क्षणिक सुख के खातिर
अपनी अर्धांगिनी को रुलाया
अपनी क्षणिक सुख के खातिर
दिन भर का कमाया पल में गवाया
अज्ञानता की नशे में हम
हाय, क्या क्या मैं कर डाला
इससे कहीं भली है
मैं दुःख को गले लगा लूं
अपने को खपा-तपा कर
हर अच्छे नियम व्रत को पालु
दू अपने बच्चे को
अच्छे भोजन, वस्त्र और पाठशाला
फिर कहेगी दुनिया मुझको
छोड़ दिया पीना हाला !!
✍️Kartik Kusum
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