देखो थक गया है राही,
राह चलते -चलते।
रुक गए उनके कदम,
पीपल की छांव देखकर।
सुनसान रास्ता सुनसान डगर,
एक अकेला है वह मार्ग पर।
है उनकी मंजिलें अभी दूर,
पर वह राही है निडर।
उन्हें चलना है कोसों दूर-दूर,
उन्हें कँटीले दुर्गम मार्गों से गुजरना है।
उन्हें घने जंगलों और विशाल पर्वतों से गुजरना है।
सूर्य अस्त हो चला,
भँवरों और झिल्लियों का गुंजन शुरू हुआ।
जंगलों से लोमड़ियों की "हू-हू" की स्वर्।
पर वह राही,
अविचलित होकर चल रहा अपने मार्ग पर।
✍️कार्तिक कुसुम
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