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Showing posts from 2023

महावीर वाटिका जमुई: बिहार की वन-पर्यावरण और पर्यटन की धरोहर

बिहार के जमुई जिले में स्थित महावीर वाटिका एक विशाल इको पार्क है। यह पार्क NH-333 के किनारे चकाई से देवघर जाने वाले मार्ग पर स्थित है। यह बिहार और झारखंड का सबसे बड़ा इको पार्क है, जिसका क्षेत्रफल 110 एकड़ है। यह जिले के चकाई प्रखंड के माधोपुर गांव में स्थित है। महावीर वाटिका का महत्व महावीर वाटिका का महत्व कई मायनों में है। यह बिहार और झारखंड के लिए एक महत्वपूर्ण पर्यटन और पर्यावरण स्थल है। यह पार्क लोगों को प्रकृति के करीब लाने और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। पर्यटन स्थल के रूप में महावीर वाटिका बिहार और झारखंड के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। यह पार्क हर साल लाखों पर्यटकों को आकर्षित करता है। पर्यटक यहां विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधों, जीव-जंतुओं और प्राकृतिक सुंदरता का आनंद ले सकते हैं। महावीर वाटिका में कई आकर्षण हैं, जिनमें शामिल हैं: 1.  कल्पवृक्ष का वन: इस पार्क में 277 से अधिक कल्पवृक्ष के पौधे लगे हैं। यह भारत का एकमात्र इको पार्क है, जहां कल्पवृक्षों का वन है। कल्पवृक्ष को हिंदू धर्म में एक पवित्र वृक्ष माना जाता है। कल्...

वन अधिकारी की विदाई

वनों की रक्षा के लिए, आपने अपना जीवन समर्पित किया, प्रकृति के संरक्षण के लिए, आपने सर्वस्व तर्पण किया आपके नेतृत्व में, वनों की स्थिति में सुधार हुआ, वनों के संरक्षण के प्रति, आपका जूनून सदैव रहा। आपकी विदाई से, वन यथावत रहेगी, या नहीं ? मुझे पता नहीं, लेकिन आपकी यादें हमेशा, हमारे दिलों में रहेंगी। आपके उज्जवल भविष्य के लिए, शुभकामनाएं देते हैं, साथ उम्मीद करते हैं, आप नई कर्मभूमि पर भी, सफलता के मंजिलो को छुएंगे। आप अपने कर्मों के प्रति  कभी विमुख नहीं होंगे । मैं तो सिर्फ याद करूंगा आपके द्वारा दिए गए गुलमोहर अब बड़े हुए, लगते कितने मनोहर उनकी हरितमा लगे जैसे मधुवन आपने ही तो सजाया यह उपवन जब-जब  लाल फूलों को देखूंगा आपकी यादों में खो जाऊंगा। आपकी यादों की अनन्त गोता में मैं याद करूंगा उन वनवासियों के बीच जो संगोष्ठी की मैं याद करूंगा वन अग्नि रोकने की जो प्रयत्न की मैं याद करूंगा यह भी, उस सघन वन की तिमिर बेला में कैसे आपने वन अग्नि पर काबू पाई। मैं याद करूंगा नागि-नकटी में आपके साथ बिताए पल मैं याद करूंगा यूरेशिया, मध्य एशिया, आर्कटिक सर्कल, रूस और उत्तरी चीन से आए पक्षिय...

दूर क्षितिज

दूर क्षितिज पूरब से लालिमा छाई । प्रकट हुए सूर्यदेव जगत में चर-अचर और खग गाई। लाल किरण की प्रस्फुटन से वनस्पतियों ने ली अंगड़ाई। गुलजार हुआ जग सारा लागे यह जहां न्यारा उषा की वेला में  निकला जब, घर से अकेला पक्षियों का कलरव  था कितना अलबेला  मंद -मंद समीर के झोंके कितना सुंदर वो भोर के मौके हर रोज बरबस ही, खिंचा चला जाता हूं। ताल -से -ताल  मिलाता हूं उस चिरैया के गायन से कितना मनहर लागे फुदक -फुदक कर, जब अपनी गान सुनाएं साथ कूके वन मे कोयलया सुन के सुहावन लागे ओकर बोलिया कागा अटारी पर चढ़ बोले पाहुन आने का संदेश सुनावे प्रकृति के मनोरम दृश्य देखकर मन मंत्र -मुग्ध हो जाए। ✍️ Kartik Kusum Yadav 

जनता के सेवक

जनता के सेवक होकर मारते हो उन्हीं को ठोकर उनके ही कर से, मिलते है तुम्हें पगार और तुम करते,  उन्हीं पर अत्याचार उनके ही महसूल से, चलते हैं तेरे घरबार उनके ही कर से तुम स्वप्न देखते हो दिवा में अपने बच्चों को  पढ़ाएंगे, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी अमेरिका में, उनके ही कर से , बच्चो को  पास कराने की रखते हो इच्छा संघ लोक सेवा आयोग जैसी परीक्षा । उनके ही कर से, तेरे चरणपादुका की चमक नहीं जाती उनके ही कर से तेरी कार है ,यह चमचमाती उनके ही कर से तेरे कार के पहिए दौड़ते हैं। उनके ही कर से कार में म्यूजिक सिस्टम बजते हैं। उनके ही कर से कार में जगजीत सिंह की ग़ज़ल सुहानी पर  कर देने वाले  जनता को कर देते हो मानहानि  । तनिक भी लाज नहीं तुझे  पहन यह वर्दी खाकी, जो ऐसे काज किए। अपने उर पर हाथ रख पूछ जरा । सिर्फ तू ही है सुपुत्र  इस धरा  बाकी सब गुंडे-मवाली,आतंकी क्या कभी अपने तनय को , आतंकी कह  संबोधन करेंगे जरा ? उन्हें भी, एक सेकंड में आतंकी बना देंगे, ऐसा कहने का जद्दोजेहद करेंगे जरा। नहीं कहेंगे, नहीं करेंगे क्योंकि , जगत में एक तेरा ही तो शिष्ट सुपुत...

बिहार सरकार की मुख्यमंत्री निशक्तता व दिव्यांगजन पेंशन योजना क्या है ?

बिहार सरकार की मुख्यमंत्री निशक्तता योजना एक सामाजिक सुरक्षा योजना है जो राज्य के निशक्त व्यक्तियों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है। इस योजना के तहत, 40% या उससे अधिक विकलांगता वाले किसी भी आय एवं आयु वर्ग के व्यक्ति को प्रतिमाह 400 रुपये की पेंशन प्रदान की जाती है। इस योजना का उद्देश्य राज्य के निशक्त व्यक्तियों को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाना है। इस योजना के तहत प्रदान की जाने वाली पेंशन से निशक्त व्यक्तियों को अपने दैनिक जीवन की जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलती है। मुख्यमंत्री निशक्तता योजना के लिए पात्रता मानदंड निम्नलिखित हैं: आवेदक बिहार राज्य का स्थायी निवासी होना चाहिए। आवेदक की आयु 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए। आवेदक की विकलांगता 40% या उससे अधिक होनी चाहिए। मुख्यमंत्री निशक्तता योजना के लिए आवेदन करने के लिए, आवेदक को निम्नलिखित दस्तावेज जमा करने होंगे: पहचान प्रमाण (आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, पासपोर्ट आदि) निवास प्रमाण (राशन कार्ड, बिजली बिल, पानी का बिल आदि) विकलांगता प्रमाण पत्र मुख्यमंत्री निशक्तता योजना के लिए आवेदन पत्र बिहार समाज कल्याण विभाग की वेबसाइट से डाउनलोड किय...

भारत मां के लाल

भारत मां के लाल हैं हम दुश्मन के लिए काल है हम अनायास कोई छेड़े मुझे उसके लिए भौकाल है हम मेरे वैभव और प्रगति देख दुनिया मुझे सलाम करें यह माटी हिंद सनातन की   बच्चा-बच्चा श्री राम कहे संत ऋषि - मुनि की परंपरा पथ - प्रदर्शक  रहे सदा राम-कृष्ण की धुनी लगे  गंगा में हर -हर गंगेय। महाकाल भस्म लगाए बैठे कैलाश शीश झुकाएं यहां कान्हा की टोली रासलीला करें राधा  होली खेले यहां भारत जीवन दर्शन परंपरा करे मानवता को तर्पण सदा विश्व बंधुता की बात करें कल्याण भाव रख आगे बढ़े कोई आंख दिखाए गर घोप दू सीने में खंजर बन जाऊं  मैं काल क्योंकि, भारत मां के लाल हैं हम दुश्मन के लिए काल है हम। ✍️ kartik kusum yadav 

गरीबी अभिशाप नहीं

कैसे तुम्हे समझाऊं मां क्यों रोती हो दिन -रात गरीब होना अभिशाप नहीं उसपर विलाप कितना सही माना दो वक्त की रोटी मयस्सर नहीं  मुझे मैं भूखे सो जाऊंगा किस बात की डर है तुझे एक दिन तेरा यह छौना बड़ा होगा उस दिन तेरा  जीवन सुनहरा होगा मैं जाऊंगा परदेस कमाने पहली कमाई से मां तेरे चरणों का पूजन होगा उस पर शेष बचा तो रेशमी साड़ी, पैरों में चप्पल होगा फिर सोचूंगा। एक छोटा सा हो आशियाना भोजन से थाल सजा हो जायकेदार हो खाना बंशी का चैन बजे न दे कोई ताना तूने मुझे जीवन दिया मां दुनिया में लाया तुने ही मैय्या खुद सोई फर्श पर मेरे लिए मखमली शैय्या अपने को खपा-तपा कर मां मेरे लिए, खुद को झोंक दिया  मेरे जीवन का नौका  मां तू ही है खेवैया तेरे स्तन का क्षीर पीकर मां सुंदर, बलिष्ठ, बलवान बना तेरी राजी खुशी से ही सुंदर -सुशील बहुरिया लाऊंगा  मैं रहूंगा परदेस कमाने  बहूरिया को अच्छे ज्ञान देना तेरे कामों में हाथ बटाएगी  एक दिन बनेगी तू दादी मां  तोतली आवाज में   दादी मां  कह दौड़ेगा मेरा छौना  प्यार से आलिंगन कर, माथे को चूमना  लाकर  उसे देना...

रूठे बदरा

सावन में रूठे बदरा उड़ रहे हैं धूल प्रभु तेरी कैसी लीला बगिया के मुरझाए फूल रंग -बिरंगी तितलियां भी  मंडराना गई भूल। सूखी तरुवर, सूखी लता सूखी यह धरती माता धरती की हरीतिमा बिन वर्षा बिन पानी कहां छाती पीट रहा कृषक अब अन्न उगाए कहां  यह मनुज का पाप कृत्य या आपदा यह प्रकृतिक समझ नहीं आ रहा बतला दो कोई जरा पथिक क्यों सावन में रूठे बदरा क्यों उड़ रहे हैं धूल ? ✍️ kartik Kusum Yadav 

बिहार में बाढ़ का मुख्य कारण

भारत के मौसम विभाग तथा राष्ट्रीय बाढ़ आयोग के अनुसार बाढ़ वह स्थिति है, जब नदी का जल खतरे के निशान के ऊपर अपवाहित होने लगती है। खतरे का निशान वर्षा ऋतु के औसत वर्षा और औसत अफवाह पर आधारित है। 20 से 30 सेंटीमीटर औसत वर्षा तक का लिया जाता है। वर्तमान समय में बाढ़ बिहार की सबसे बड़ी प्रकृति समस्या है। इसके कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का दो तिहाई भाग बाढ़ से प्रभावित रहता है। बिहार के कुल 28 जिले बाढ़ से प्रभावित है। हालांकि 2007 में 19 जिले मात्र बाढ़ से प्रभावित हुआ था। यहां बाढ़ एक प्राकृतिक विपदा जो निरंतर धन- जन की अपार क्षति पहुंचाती है। उत्तर बिहार की प्राय: सभी नदियां जिनमें कोसी, गंडक बागमती, कमला- बलान, महानंदा, अधवारा समूह की नदियां तथा भुतही-बलान आदि प्रमुख है जो हिमालय से निकलती है तथा नेपाल के पर्वतीय क्षेत्र से होते हुए इस राज्य में प्रवेश करती है यह नदियां अपने साथ बहुत अधिक सिल्ट (गाद) लाती है और अपनी तेज धारा के कारण किनारों को अप्रत्याशित रूप से कटाव करती है। जब तब इसकी धारा बदल भी जाती है जिससे इस क्षेत्र में बाढ़ का विनाशकारी रूप प्रकट होता। दक्षिणी मैदान (गंगा के दक्षिणी मै...

मोदी को फ्रांस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस के सर्वोच्च नागरिक और सैन्य सम्मान ग्रैंड क्रॉस ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर से सम्मानित होने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बन गए हैं। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने उन्हें इस सम्मान से नवाजा। मोदी को गुरुवार को एलिसी पैलेस (फ्रांस का राष्ट्रपति आवास) में इस सम्मान से नवाजा गया। इससे पहले दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला, ब्रिटेन के महाराजा चार्ल्स (तत्कालीन प्रिंस ऑफ वेल्स), जर्मनी की पूर्व चांसलर एंजेला मर्केल, संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव बुतरस बुतरस-घाली को इससे नवाजा जा चुका है। मोदी दो दिवसीय यात्रा पर गुरुवार को पेरिस पहुंचे थे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने पुरस्कार समारोह की तस्वीरें ट्विटर पर साझा कीं। उन्होंने लिखा कि यह साझेदारी की भावना का प्रतीक है। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट करते हुए कहा, मैं बेहद विनम्रता के साथ ग्रैंड क्रॉस ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर को स्वीकार करता हूं। यह भारत के 140 करोड़ लोगों के लिए सम्मान है। मैं इसके लिए राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, फ्रांस की सरकार और वहां के लोगों का आभार व्यक्त करता हूं। यह भ...

बिहार में गरीबी

निर्धनता का अर्थ उस सामाजिक आर्थिक स्थिति से है जिसे समाज का एक भाग जीवन स्वास्थ्य एवं दक्षता के लिए न्यूनतम उपभोग आवश्यकताओं को जुटाने में असमर्थ होता है। जो समाज का बहुत बड़ा भाग न्यूनतम जीवन स्तर से वंचित होकर केवल निर्वाह स्तर पर गुजारा करता है तो इसे व्यापक निर्धनता (Mass Poverty) कहा जाता है। भारत सहित तीसरी दुनिया के देशों में ऐसी ही निर्धनता पाई जाती है। निर्धनता की गणना सापेक्ष एवं निरपेक्ष दोनों रूपों में की जाती है। सापेक्ष दृष्टि से निर्धनता का मापन विभिन्न वर्गों/देशों के निर्वाह स्तर की तुलना करके की जाती है। निर्वाह स्तर का अर्थ है। आय उपभोग व्यय निरपेक्ष दृष्टि से निर्धनता मापन में निर्वाह की न्यूनतम जरूरतों भोजन, वस्त्र, कैलोरी, आवास आदि को रखा जाता है। जिन्हें यह न्यूनतम चीजें भी उपलब्ध नहीं होती है, उन्हें गरीब कहा जाता है। बिहार में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की सामाजिक अधिकारिता एवं रोजगार मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट 2021-22 के अनुसार 39.3% है। राज्य में रोजगार का निम्न स्तर और मजदूरी की निम्न दर है। बिहार में गरीबी का स्वरूप अन्य विकसित प्रदेशों के अपेक्षा...

चिड़ियां और मजदूर

चिड़िया गा रही है खेतों की मेड़ पर गीत वह गा रही मजदूरों पर ए मजदूर फसल काटने वाले व्यथा मेरी जरा तू सुनना सारा फसल तू काटना पर उनके बाली न चुनना शेष बचेंगे वह मेरे लिए अन्न सारा फसल ले जाने पर मैं उनका स्वाद चखऊंगा चोच में दबा ले घोसले में अगर तू उसे भी ले जाएंगे अन्न तलाश में भटक मर जाएंगे मेरे ऊपर यही उपकार करना सारा फसल तू काटना पर उनके बाली ना चुनना सुन मजदूर उनकी गीत उनके मन में भी आई संगीत एक छोटी चिड़िया तू भी सुनना व्यथा मेरी भी मैं हूं मालिक की दासा मैं भी रहता हूं हरदम तुम्हारी तरह भूखा प्यासा मैं इन्हें ले जाकर खलिहान के ऊपर लगाऊंगा ढेर बदले में मिलेंगे अन्न मुझे सैर दो सैर आना तू खलियानों पर खाना बैठ लगे ढेरों पर चिड़िया ने फिर गाकर बोली ना ना मैं ना आऊंगी तेरी बातों में मैं ना भर्मआऊंगी सुना है तेरा मालिक है कंजूस दाने की लालच देकर मुझे पकड़ लेगा वह कंजूस हम पिंजर बंद हो जाएंगे सारा चैन मुझसे छीन जाएगा मेरी दुनिया सिमट कर उस पिंजरे में बंद हो जाएंगे फिर इस नील गगन में  उड़ने की परिकल्पना सिर्फ स्वप्न होगी उस झर- झर कर झरने वाली निर्झरिणी का नीर चखना स्वप्न होगी नहीं- ...

पत्रकारिता

एक समय था   पत्रकारिता का। पत्रकार की कलम में , ताकत हुआ करता था  कलम से लिखा गया एक -एक शब्द राजनेताओं -अधिकारियों   के  कुर्सी हिला देता था। एक -एक शब्द तीर के समान चुभती लाख खरीददार होने के बावजूद उस समय की पत्रकारिता बीके  नहीं बिकती  जब देश गुलामी  के जंजीरों में जकड़ा था अंग्रेजी हुकूमत के पांव उखाड़ने में  पत्रकारिता का अहम  भूमिका था आज डिजिटल युग के तथाकथित पत्रकार जिसकी लगी है, लंबी कतार  दूर-दूर तक न है, पत्रकारिता से नाता पत्रकारिता की आड़ में  सिर्फ धौंस जमाता  पत्रकार बने घूमे फिरते हैं गांव -गली मोहल्ले  सच कहे तो इनको पत्रकारिता का अर्थ  नहीं पता जिस कारण ही   दिन -प्रतिदिन पत्रकारिता की छवि   धूमिल हुई   लोगो का भरोसा पत्रकारिता   पर कम हुई। आए दिन समाचार पत्रों में खबरें छपती है। अमुक पत्रकार , किसी के साथ ब्लैकमेल किया ऐसी सुर्खियां लगती है। अपनी धाक जमाने के लिए गाड़ी पर प्रेस लिखाए  गाड़ी पर नंबर की जरूरत नहीं हेलमेट न पहने  कोई बात नहीं  अगर कोई पुलिस रोके ...

सखा

यार है, वह दोस्त है सबों का सखा है, विश्व बंधुत्व का पाठ योग से सिखाता है। सौम्य विचार, मधुर वाणी अधरों पर मुस्कान रवानी श्याम वर्ण, चेहरा नवल उसपर उनका ह्रदय धवल  आज यकायक   सुन खबर सभी का हृदय हुआ विह्वल दुर्घटनाग्रस्त हो गया, वह मेरा सखा विधि का विधान कोई रोक न सका शायद विधाता की यही थी मर्जी तभी तो मेरे सखा दुर्घटनाग्रस्त हुई चोटिल होकर जब   मूर्च्छा हुआ होगा असहनीय पीड़ा, सखा तू कैसे सहा होगा ? वह मनुष्य देव तुल्य ही होगा जिसने तुम्हें , सड़क पर पड़ा देख दौड़ा होगा उस मनुज को कोटि-कोटि बधाई पर यह खबर सुनकर आंखें नम हुई भाई। आप कहा करते थे योग से युवाओं को जोड़ेंगे उनके शरीर को , तरुण और सशक्त करेंगे। रोग - रुग्णता न आस -पास होगी भारत देश होगा निरोगी इस सुनहरे सपने को किसकी बुरी नजर लग गई भाई। ✍️ Kartik Kusum Yadav

मेघा

मेघा रे.. मेघा आकर तू छा। उमड़-घुमड़ कर तू आ प्यासी है यह धरा जरा पानी तो बरसा उमस भरी यह परिवेश गर्मी देती कितनी क्लेश आकर तू इसे मिटा मेघा रे.. मेघा आकर तू छा। रवि की तपिश  गई वसुधा सूख  सुखी वृक्षों की डाली  जीर्ण हुए उनके पत्ते दूब की पत्तियां भी हुई पीली गईया रंभाती, चरने को हरी-हरी अपनी करुणा तू दिखा मेघा रे.. मेघा आकर तू छा। खेत की मेढ़ पर कृषक विचारे। खेतों में कैसे बिचड़ा डालें देवता इंद्र से करे पुकार कहे, हे कृपानिधान,  दीन- दयालु, कृपालु अंबर से तू पानी बरसा मेघा रे.. मेघा आकर तू छा। ✍️ Kartik kusum yadav 

मेरे भारत का सपना

जो इस धरा पे जन्म लिया बचपन के खेल-खेल में मिट्टी से मटमैला हुआ सर से पांव तक मिट्टी से लीट जाता था शाम की वेला में जब दौड़ा-दौड़ा घर जाता था। मां आंचल फैलाकर  गले लगा लेती थी माटी से लेपित तनु को हाथो से सहलाती थी और कहती क्यों रोज-रोज बेटा मिट्टी से लीट जाते हो अपने अच्छे लिवास को नित्य मटमैला करते हो  कैसी तेरी शौक चढ़ी है इस मिट्टी से लीट जाने की कीतना भी समझाऊ  तू करता हरदम मनमानी  बेटा मां से कहता  मां जिसे तुम मिट्टी कहती हो  वह भी तुम्हारी तरह माता है तूने  ही तो सिखलाई हो यह सबकी भारत माता है  इस माटी से लेपित तनु को मां इसे उपहास ना करना यह भारत मां की करुणा है इसका मजाक न करना  इस मिट्टी में असीम शक्ति है संपूर्ण विश्व को बदलने की जो जुड़ जाए इस मिट्टी से निखर जाए तनु सह बुद्धि उनकी मैं देख रहा हूं स्वप्न माते एक ऐसे भारत का जो जन्म लिए इस धरा पर  करे खुद पर गौरवान्वित मां न हो यहां अन्न की किल्लत और भूख का रोना मां हरयाली से लहराए हरदम यह धरा  भारत का हर एक कोना-कोना मां  जहां मान -सम्मान हो  मेरी तरह माटी से ल...

पर्यावरण और सनातन जीवन-दर्शन

पर्यावरण अनुकूल हो जीवन आपके कृत से न हो नष्ट पर्यावरण आओ साथ मिलकर ले यह प्रण  पश्चिमी देशों की वो उपभोक्तावादी संस्कृति भोगवादी, विलासमय जैसी कुरीति  ओतप्रोत है जो आपके मन- मस्तिष्क पर  इन्हे परित्याग करे, इनमें है विकृति यह नहीं है भारत की संस्कृति सनातन धर्म और उनके जीवन-दर्शन की परंपरा आत्मसात और अंगीकार करने की है आवश्यकता यह संस्कृति इतनी समृद्ध है। विश्व को जनकल्याण कर सकती है  इस परंपरा को मानने वाले ही आंगन में तुलसी का पूजन करती है। वटवृक्ष तथा पीपल पेड़ का अराधन  यही है सनातन संस्कृति का जीवन-दर्शन  पर्वतो, और वायु को देवता के रूप में पूजते लोक आस्था की वह महान छठ पर्व नदियों की जलधारा को स्वच्छ कर क्या यह संदेश नहीं देती? लाइफ स्टाइल फॉर एनवायरमेंट की पहल ।

नदी बचाओ

निर्मल धारा थी नदियाँ की निर्मल था उसका पानी कण-कण में व्याप्त थी स्वच्छता शीतल था उसका पानी कल-कल कर वह बहती थी नीर सरिता की थी मीठी  अपने अमृत जलधारा से प्यास बुझाती थी सबकी  नीर चख तृप्त हो जाते थे  दीर्घकाय हाथी से लेकर   चींटी उपहार स्वरूप मिला था  देन थी यह ईश्वरीय प्रकृति  मनुष्य की धनलोलुपता ने रेत का व्यवसाय किया उत्खनन यंत्र लगाकर निर्झरिणी के संग अन्याय किया  यत्र-तत्र  कर खुदाई  नदी की अस्तित्व मिटाई संविदाकार ने भी,  की खूब कमाई। दुर्दशा हो गई सरिता की इतनी तप रही जेठ दुपहरी अमृत जलधारा देने वाली। तरस रही बूंद भर वारि  सदियों से ढोती आई थी नर का वह पाप सकल  मरणासन्न अवस्था में आज  कोई नहीं जरा भी विकल उत्स थी यह जल की, पर आज उत्स है आर्थिक दिवस हो या वो तम सघन   देखो थम नहीं रहा उत्खनन  पर्यावरणविद कुछ करो पहल पकड़ हाथ बैनर निकल आह्वान कर आवाम से संदेश हो यह प्रबल -प्रखर  यात्रा कर हर नुक्कड़ हर कोना  हर घर से निकलेगा अब सुंदरलाल बहुगुणा। ✍️ Kartik Kusum Yadav 

दुखिया की बात

साहब सुन लीजिए एक दुखिया की बात दीन-हीन गरीब हूं। न ही मेरा कोई रकीब है गांव में रहती हूं खेत-खलियानो में मजदूरी कर जीवन-यापन करती हूं। रहने की है। टूटी झोपड़ी-मड़ाई सीधी-साधी हूं। न करती हूं, किसी से लड़ाई इत्ती सी है मेरी समस्या आस लगाए बैठी हूं कब से कर दीजिए न समाधान  घने जंगलों बीच वो गांव मेरा जहां मैं डाले हूं डेरा ऊंचा है वहां मेरा मचान कंदमूल,फल तोड़   अरण्य का करती हूं, उसका रसपान  सुन पक्षियों का गुंजन कर लेती हूं,खुद का मनोरंजन परंतु पेयजल के लिए हमेशा तरसती हूं बर्तन लेकर, कोसों दूर भटकती हूं इस उमस भरी गर्मी में बूंद-बूंद नीर के लिए लोग आपस में भी लड़ पड़ते है। ऊपर से  वो दुर्गम रास्ते वो कांटे थक जाती हूं आते-जाते तब जाकर प्यास बुझती है। दिवस के आधे समय यूं ही कट जाते आते-जाते  दया करो साहब दया करो इस दुखिया पर दया करो पेयजल की ग्रामीणों के लिए कुछ उपाय करो। ✍️ Kartik kusum yadav 

नहीं बनूंगा आतंकी

मैं नहीं बनूंगा आतंकी तू लाख जतन कर ले पहन यह वर्दी खाकी षड्यंत्र रच ले। पर श्रद्धा अटल है, मेरी अपने देश पर अपने देश की संविधान पर भारत राष्ट्र की सभ्य पुलिस है तो विनम्र रहिए। वरना खाकी वाले साहब सुन ले मेरी बात जनता ने हिटलर, मुसोलिनी तक को मारी है लात। ✍️ कार्तिक कुसुम यादव 

पुलिस के दो रूप

जंगलों में अधिवास था  लोग असभ्य समझते थे देखन में कुरूप काला था पर अंदर से भोला-भाला था गांव की बसावट कानन में थी पुलिस के नजरो में खटकती थी पुलिस अधीक्षक आए एक दिन  बस्ती को करने छानबीन कहीं अपराधिक तत्व न हो इस गांव में। गांव की जनता भोले-भाले पुलिस की वर्दी देखकर वो इधर-उधर को भागे  पुलिस को लगी, जैसे यह लोग है अपराधी तभी तो कर रहे हैं भागम-भागी पुलिस ध्वनि विस्तारक यंत्र से उद्घोष लगाई।  उनका शब्द था, ठहरो भाई फिर उसने कहा, भागो मत  पुलिस आपकी दोस्त हैं  पुलिस तुम्हारे हितैषी है पुलिस भी आपकी तरह नागरिक है आप नागरिक बिना बर्दी वाले पुलिस हो तभी सहयोगी पुलिसकर्मी आए  उनके द्वारा बैनर लगाए बैनर में लिखा था, समुदायिक पुलिसिंग व्यवस्था  फिर बड़े-बड़े साहब पहुंचे मंच लगाए गए वहां ऊंचे विराजमान हुए सभी अधिकारीगण सामने उपस्थित हुए जनतागण संबोधन का सिलसिला शुरू हुआ जनता का भरोसा पुलिस पर हुआ अनगिनत समस्याएं सुने जनता से सुलझाने का वादा किया उनसे उनके हक अधिकार की  रक्षा हेतु चर्चा की और उन्हें मुख्यधारा से जुड़कर चलने की नसीहत दी साथ निवेदन किया ...

आप है।

आप है। तभी तो यह जग है।  एहसास हो या ना हो क्या फर्क पड़ता आप से ही तो सारी कायनात है। आप है तो। यह हरे-भरे जंगल है। आप से ही तो अरण्य में वन्यजीव है। आप है। तभी तो अमराई  में कोयल की कूक है। दुनिया के इस दर्पण के सामने कभी तो अपना आनन लाकर देखें । आप ही आप दिखेंगे। आप है। तभी तो वनस्पतियों पर कुसुम है। आपसे ही तो। वृक्षों पर गिलहरियों की चढ़ने-उतरने की क्रीड़ा है आप है । तो भौंरा गाते है । आपसे ही तो वनों की नैसर्गिक सुंदरता है। नि:शब्द स्तब्ध तिमिर की बेला में दूर कहीं अरण्य से जब मयूर गाती है। तो मुझे एहसास होता है यह सब आपकी वजह से तो है फिर खुद की अस्तित्व पर सवाल क्यों ? आपके भौतिक रूप से होने का इतने साक्ष्य पड़े हैं फिर भी खुद को खुद में ढूंढने चले क्यों ? ✍️ Kartik Kusum Yadav 

मंजूषा चित्रशैली

भागलपुर क्षेत्र की लोक कथाओं में अधिक प्रचलित ' बिहुला विषहरी' की कथाएं ही इस चित्र शैली में चित्रित होती है। मूलतः भागलपुर (अंग) क्षेत्र में सुपरिचित इस चित्र शैली में मंदिर जैसी दिखने वाली एक मंजूषा, जो सनाठी (सनाई) की लकड़ी से बनाई होती है। पर बिहुला विषहरी की गाथाओं से संबंधित चित्र कुचियो द्वारा बनाए जाते हैं। इस चित्रकला की एक विशेषता यह है कि इसमें स्त्री-पुरुषों के चेहरे का सिर्फ बया पक्ष ही बनाया जाता है। इस चित्र शैली के चित्रों को भागलपुर-दिल्ली विक्रमशिला एक्सप्रेस रेलगाड़ी में चित्रित किया गया है।

यूट्यूबर पत्रकार

हमर गांव में आईल रहे एगो पत्रकार यूट्यूबर  दूबर-पातर छरहर रहे लागत जैसे टूबर फिर भी हम सम्मान कईली गांव में आवे के कारण पुछली एटीट्यूड से उ भरल रहे तभी तो बतावे से इंकार कईली  हमरे मन में शंका भईले ओकरा के प्रति फर्जी पत्रकार के तय्यो हम बोलली ओकरा से हमर गांव में बड़ी समस्या आई ई टूटल सड़क दिखाई स्कूलीया के दरकल दीवार भी पिये के पानी नहीं रहे दिखा द तनी ई सब सरकार के ऊ बोलली हमरा से इ सब हम, सब दिखाई  पर एकरा लिए लगतो रुपैया न दैलही तो हम हाथ जोड़ो हियो भैय्या  हम बोलली ओकरा से आप रहे एक पत्रकार और पत्रकार के कुछ धर्म होवे है। निष्पक्ष,निर्भीक और ईमानदार के ई सब गुण तोरा में नाय हो त तोअ फिर काहे के पत्रकार ? इतना सुन ओकरा अपमान लगले तबे ऊ हमरा धमकी देलके जा हियाे ऐजे से अभी हम नाए हीयो तोरा से कम हमरे गांव में कुछ आस्तीन के सांप रहले ओकरा से जाएके हमर नाम पता पूछलके  ओकर बाद ऊ गईले थाना थानेदार रहे थाना में झूठ-फूस भर दिहिले ओकर काना में फोन करलको हमरा दारोगा सुनाबे लगले अपन ताना-वाना कड़क आवाज में बोललो हमरा काहे करलिह अपमान पत्रकार के ? आओ अभी तुम थाना । नि...

राजनीति में एक सुशिक्षित एवं संगठित लोगो को होना क्यों जरुरी है। आलोचनात्मक समीक्षा ।

कोई भी शासन प्रणाली तभी सफल हो सकती है जब तक उसके सदस्यगण शिक्षित हो। अथार्थ शिक्षा वह कारगर हथियार है जिसके माध्यम से नीति का नियमन और उसका भली-भांति क्रियांवयन होता है। हालांकि वर्तमान परिपेक्ष में विधान मंडलो के सदस्य भली-भांति शिक्षित नहीं होते, बावजूद इसके कार्यपालिका के सदस्यों के द्वारा क्रियांवयन होता रहता है। इससे शासन प्रणाली में गतिरोध जारी है। इन अशिक्षित सदस्यों के कारण यह सीमितयाँ मात्र राजनीतिक संस्थाएं बनती जा रही है। जो लोकतांत्रिक शासन में एक अभिशाप है।                    पंचायत एवं अन्य संस्थाओं हेतु कुशल सदस्यों के चयन में आम-जन की जागरुकता एवं उनका भली-भांति शिक्षित होना अनिवार्य है। एक शिक्षित आम जनता ही कुशल प्रशासक का चयन कर सकती है। शिक्षित होने से आम जनता में जागरुकता का संचार होता है। जागरुक जनता ही अपने हक एवं अधिकार को समझ सकती है। सरकार के विभिन्न योजनाओं को सफल बनाने में आम जन की जागरुकता शासन के लिए उत्प्रेरक तत्व एवं योजना को सफलीभूत होने में मददगार सिद्ध होती है। यह आम जन ही स्वयं में से शिक्षित प्रशासक ...

पटना कलम चित्रकला शैली

बिहार प्रदेश की गौरवशाली परंपरा की महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में पटना कलम चित्रकला का उच्च स्थान है। मध्यकालीन बिहार में पटना कलम चित्रकला ने बिहार के कला क्षेत्र को काफी समृद्ध किया। पटना कलम चित्रकला का विकास मुगल साम्राज्य के पतन के बाद उत्पन्न परिस्थितियों में हुआ। औरंगजेब द्वारा राज दरबार से कला के विस्थापन तथा मुगलों के पतन के बाद विभिन्न कलाकारों ने क्षेत्रीय नबाव के यहां आश्रय लिया इससे कला के विभिन्न क्षेत्रीय रूप उभरे जिनमें पटना शैली प्रमुख है। इस शैली का विकास 18वीं सदी के मध्य से लेकर बीसवीं सदी के आरंभ तक हुआ। इस शैली पर एक ओर  मुग़लशाही शैली का प्रभाव है तो दूसरी और तत्कालीन ब्रिटिश कला का भी प्रभाव है। इसके अतिरिक्त इसमें स्थानीय विशिष्टताएं भी स्पष्ट है। मुगल तत्व, स्थानीय भारतीय तत्व एवं यूरोपीय तत्वों के सम्मिश्रण के कारण इस शैली की अलग पहचान बनी है। तत्कालीन नवधनाढ्य भारतीय एवं ब्रिटिश कलाप्रेमी इस कला के संरक्षक और खरीददार थे। पटना कलम के चित्र लघु चित्र की श्रेणी में आते हैं। जिन्हें अधिकतर कागज एवं कहीं-कहीं हाथी दांत पर बनाया गया है। इस शैली का मुख्य विषय जनसा...

संथाल विद्रोह (1855-56)

 संथाल विद्रोह   में सबसे प्रमुख था 1855-56 ई० का विद्रोह। संथाल पूर्वी बिहार के भागलपुर से राजमहल तक के क्षेत्र में निवास करते आ रहे थे। इस क्षेत्र को ' दमन ए कोह ' कहा जाता था। क्षेत्र की जमीन को काफी मेहनत से उपजाऊ और कृषि योग्य बनाकर वह यहां झूम एवं पंडू विधि से कृषि किया करते थे। इस कारण जमीन से उनका भावनात्मक संबंध बन चुका था। संथालो का अपना धार्मिक सामाजिक एवं राजनीतिक ढांचा भी था।  ब्रिटिश शासन की शुरुआत ने उनके जीवन को तहस-नहस कर दिया। उनके सरदारों को जमींदारों का दर्जा देकर लगान की नई व्यवस्था लागू कर दी गई। संथालो द्वारा उत्पादित प्रत्येक वस्तु पर कर आरोपित कर दिया गया। कर वसूली के लिए उतरी बिहार के लोगों की नियुक्ति की गई। समय पर लगान न देने के कारण उनकी जमीन नीलाम की जाने लगी। इस स्थिति से बचने के लिए संथाल महाजनों और साहूकारों पर आश्रित होते चले गए। यह महाजन कर्ज के बदले संथाल बहू बेटियों की आबरू लूटने की कोशिश तक करने लगे। इस स्थिति में पुलिस और न्यायालय ने भी संस्थानों का साथ नहीं दिया। इस तरह यह लोग औपनिवेशिक  अर्थव्यवस्था के जाल में फंस गए। परि...