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पुलिस के दो रूप

जंगलों में अधिवास था 
लोग असभ्य समझते थे
देखन में कुरूप काला था
पर अंदर से भोला-भाला था
गांव की बसावट कानन में थी
पुलिस के नजरो में खटकती थी
पुलिस अधीक्षक आए एक दिन 
बस्ती को करने छानबीन
कहीं अपराधिक तत्व न हो इस गांव में।
गांव की जनता भोले-भाले
पुलिस की वर्दी देखकर
वो इधर-उधर को भागे 
पुलिस को लगी, जैसे
यह लोग है अपराधी
तभी तो कर रहे हैं भागम-भागी
पुलिस ध्वनि विस्तारक यंत्र से
उद्घोष लगाई। 
उनका शब्द था, ठहरो भाई
फिर उसने कहा, भागो मत 
पुलिस आपकी दोस्त हैं 
पुलिस तुम्हारे हितैषी है
पुलिस भी आपकी तरह नागरिक है
आप नागरिक बिना बर्दी वाले पुलिस हो
तभी सहयोगी पुलिसकर्मी आए 
उनके द्वारा बैनर लगाए
बैनर में लिखा था,
समुदायिक पुलिसिंग व्यवस्था 
फिर बड़े-बड़े साहब पहुंचे
मंच लगाए गए वहां ऊंचे
विराजमान हुए सभी अधिकारीगण
सामने उपस्थित हुए जनतागण
संबोधन का सिलसिला शुरू हुआ
जनता का भरोसा पुलिस पर हुआ
अनगिनत समस्याएं सुने जनता से
सुलझाने का वादा किया उनसे
उनके हक अधिकार की 
रक्षा हेतु चर्चा की
और उन्हें मुख्यधारा से
जुड़कर चलने की नसीहत दी
साथ निवेदन किया उनसे
संदिग्ध लोग दीखें अगर
सूचित करना पुलिस को फौरन
भीड़ से एक नवयुवक
पुलिस से पूछा दो टूक
कैसे संदिग्ध व्यक्ति को पहचाने ?
बतला दो इसका कोई ट्रिक
पुलिस ने बताई नवयुवक को 
सरसरी निगाह रखो सब पर
अगर कोई दिखे अनजान
बातचीत करो उनसे
साथ पूछो उनकी पहचान
इससे भी संतुष्ट न हो तो
परिचय बताने को कहे उनको
जरा भी संदिग्ध लगे तुमको
सूचना देना फोरन हमको
फिर बच्चों के बीच पुलिस ने
पाठ्य सामग्री वितरित कीए 
ठंड से बचने के लिए
बुजुर्गों को गर्म कपड़े भी दिए।
नवयुवको के बीच
खेल सामग्री बाटी।
पुलिस कप्तान सामूहिक रूप से
सेल्फी ली, संग ग्रामीण आदिवासी 
सभी पदाधिकारी चले गए
कार्यक्रम स्थल हो गई खाली
दिन-दिवस बितता गया
महीना बीत गया चार-दो-चार 
दो टूक पूछने वाले नवयुवक को
मिल गया एक संदिग्ध यूट्यूबर पत्रकार
पत्रकारीता की आड़ में
चलता था उसका गोरखधंधा
पुलिस के संरक्षण में था
काम था उनका बहुत गंदा
रिमोट एरिया में आकर 
मुझे लगा 
यह जन-समस्या को दिखाएंगे
पर यह।
भोली जनता को ठगकर
अपनी झोली भरने आए थे 
फिर क्या। पुलिस द्वारा दी गई ट्रिक
यूट्यूबर महोदय से ली पूछ।
पूछने मात्र से ही
यूट्यूबर आग बबूला हुआ
उन्होंने  कहा, रे मूर्ख
अनपढ़,गवार ,काले-कलूटे
तेरी क्या बिसात
जो तुम मुझसे सवाल पूछे
जा आखेट-शिकार कर वन में
तेरी बस की बात नहीं 
जो सवाल करे मुझसे
मुझे अपमानित करके
मामला भी उठा दिए पुलिस में
मैं तो खुश था
पुलिस अच्छे विचार की होती हैं
सामुदायिक पुलिसिंग कार्यक्रम में
कितने अच्छे विचार प्रस्तुत किए
मन ही मन मैं खुश था
आज डांट पड़ेगी उस यूट्यूबर को
पर उलट हुआ भाई उलट हुआ
देखने को मिले पुलिस के दो रूप
एक सुंदर तो दूसरा कुरूप
वही साहब थे
थानेदार..
सामुदायिक पुलिसिंग कार्यक्रम में
इनके बोल थे लच्छेदार 
मधुर वाणी थी इनकी।
वाणी की मिठास
पास विपिन के शहद से भी मीठे
जैसे कंठ में मिश्री घोले 
पर आज उनका रौद्र रूप प्रकटन हुआ
और दानवी चेहरा आया बाहर
मीठे बोल बोलने वाले
विषधर सांप की तरह फूफकार मार रहे थे
L.W.E क्षेत्र से आए युवक को
आतंकवादी बनाने तक की बात कह गए।
सुना है, बोलने मात्र से ही
साहब का ईगो हर्ट हो गया
अगर साहब का ईगो हर्ट हो गया
तो समझो तुम्हारे खिलाफ परिवाद दर्ज हो गया 
पुलिस कप्तान सुन ले मेरी अर्जी
क्यों पाले हो थानेदार के रूप में
इस विषधर सपोले को
कुचल दे इसके फण को
तोड़ दे इसके विषधर दांत
जो प्रतिष्ठित पद पर होते हुए
अमर्यादित तरीके से करते हो बात।

✍️ Kartik Kusum Yadav 





















































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