पर्यावरण अनुकूल हो जीवन
आपके कृत से न हो नष्ट पर्यावरण
आओ साथ मिलकर ले यह प्रण
पश्चिमी देशों की वो उपभोक्तावादी संस्कृति
भोगवादी, विलासमय जैसी कुरीति
ओतप्रोत है जो आपके मन- मस्तिष्क पर
इन्हे परित्याग करे, इनमें है विकृति
यह नहीं है भारत की संस्कृति
सनातन धर्म और उनके जीवन-दर्शन की परंपरा
आत्मसात और अंगीकार करने की है आवश्यकता
यह संस्कृति इतनी समृद्ध है।
विश्व को जनकल्याण कर सकती है
इस परंपरा को मानने वाले ही
आंगन में तुलसी का पूजन करती है।
वटवृक्ष तथा पीपल पेड़ का अराधन
यही है सनातन संस्कृति का जीवन-दर्शन
पर्वतो, और वायु को देवता के रूप में पूजते
लोक आस्था की वह महान छठ पर्व
नदियों की जलधारा को स्वच्छ कर
क्या यह संदेश नहीं देती?
लाइफ स्टाइल फॉर एनवायरमेंट की पहल ।
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