बिहार के जमुई जिले में स्थित महावीर वाटिका एक विशाल इको पार्क है। यह पार्क NH-333 के किनारे चकाई से देवघर जाने वाले मार्ग पर स्थित है। यह बिहार और झारखंड का सबसे बड़ा इको पार्क है, जिसका क्षेत्रफल 110 एकड़ है। यह जिले के चकाई प्रखंड के माधोपुर गांव में स्थित है।
महावीर वाटिका का महत्व
महावीर वाटिका का महत्व कई मायनों में है। यह बिहार और झारखंड के लिए एक महत्वपूर्ण पर्यटन और पर्यावरण स्थल है। यह पार्क लोगों को प्रकृति के करीब लाने और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
पर्यटन स्थल के रूप में
महावीर वाटिका बिहार और झारखंड के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। यह पार्क हर साल लाखों पर्यटकों को आकर्षित करता है। पर्यटक यहां विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधों, जीव-जंतुओं और प्राकृतिक सुंदरता का आनंद ले सकते हैं।
महावीर वाटिका में कई आकर्षण हैं, जिनमें शामिल हैं:
1. कल्पवृक्ष का वन: इस पार्क में 277 से अधिक कल्पवृक्ष के पौधे लगे हैं। यह भारत का एकमात्र इको पार्क है, जहां कल्पवृक्षों का वन है। कल्पवृक्ष को हिंदू धर्म में एक पवित्र वृक्ष माना जाता है। कल्प वृक्ष एक पौराणिक वृक्ष है जिसे अमरता का भी प्रतीक माना जाता है। इस वृक्ष के पत्ते और फल अमृत के समान माना जाता है। कल्प वृक्ष के वन वाटिका में निम्नलिखित लाभ प्रदान करते हैं:-
- वातावरण को शुद्ध करना:- कल्प वृक्ष ऑक्सीजन का उत्पादन करते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं। इससे वातावरण शुद्ध होता है और प्रदूषण कम होता है।
- मिट्टी को समृद्ध करना: - कल्प वृक्ष की जड़ें मिट्टी को कसकर पकड़ती हैं और मिट्टी को कटाव से बचाती हैं। इसके अलावा, कल्प वृक्ष की पत्तियां और फल मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की मात्रा बढ़ाते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है।
- पक्षियों और अन्य जीवों को आश्रय देना: - कल्प वृक्ष पक्षियों और अन्य जीवों के लिए एक आरामदायक और सुरक्षित आश्रय प्रदान करते हैं। इससे वाटिका में जैव विविधता बढ़ती है।
- सुंदरता और सौंदर्य बढ़ाने के लिए: - कल्प वृक्ष अपने सुंदर फूलों और पत्तियों के कारण वाटिका को एक सुंदर और आकर्षक रूप प्रदान करते हैं। कल्प वृक्ष के फूल सफेद, पीले या गुलाबी रंग के होते हैं और बहुत सुगंधित होते हैं। कल्प वृक्ष की पत्तियां हरी और चमकदार होती हैं। ये वृक्ष वाटिका को एक आकर्षक और सुंदर रूप प्रदान करते हैं। कुल मिलाकर, कल्प वृक्ष के वन वाटिका में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
2. अशोक वाटिका: इस पार्क में अशोक वाटिका नामक एक पुष्प उद्यान भी है। इस उद्यान में विभिन्न प्रकार के फूलों और पौधों को लगाया गया है। अशोक वाटिका का नाम भगवान महावीर के नाम पर रखा गया है।
3. कार्बन फॉरेस्ट: इस पार्क में कार्बन फॉरेस्ट भी है। यह वन कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद करता है। वाटिका में कार्बन फॉरेस्ट का उद्देश्य वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करना और ऑक्सीजन का उत्पादन करना होता है। कार्बन डाइऑक्साइड एक ग्रीनहाउस गैस है जो ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनती है। कार्बन फॉरेस्ट इस गैस को अवशोषित करके ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में मदद करते हैं। वाटिका में कार्बन फॉरेस्ट का एक अन्य उद्देश्य जैव विविधता को बढ़ावा देना है। कार्बन फॉरेस्ट में विभिन्न प्रकार के पेड़ और पौधे होते हैं जो विभिन्न प्रकार के जीवों के लिए आवास प्रदान करते हैं। यह जैव विविधता को बढ़ावा देने में मदद करता है, जो पर्यावरण के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।
वाटिका में कार्बन फॉरेस्ट का एक तीसरा उद्देश्य लोगों को पर्यावरण के बारे में जागरूक करना होता है। कार्बन फॉरेस्ट लोगों को वनीकरण के महत्व के बारे में बताने का एक तरीका है। यह लोगों को यह समझने में मदद कर सकता है कि वन पर्यावरण के लिए कितना महत्वपूर्ण हैं और कैसे वे ग्लोबल वार्मिंग और जैव विविधता हानि जैसी समस्याओं को कम करने में मदद कर सकते हैं।
4. चिल्ड्रन पार्क: इस पार्क में बच्चों के लिए एक चिल्ड्रन पार्क भी है। इस पार्क में बच्चों के लिए विभिन्न प्रकार के खेल-खिलौने और मनोरंजक सुविधाएं उपलब्ध हैं।
5. सीता अशोक वाटिका: पार्क में सीता अशोक वाटिका का निर्माण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह वाटिका रामायण की पौराणिक कथा से जुड़ी हुई है, जो देश और दुनिया भर के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है। इसके अलावा, पड़ोस में स्थित देवघर से रावण के जुड़ाव की पौराणिक कथा भी इस वाटिका की महत्ता को बढ़ाती है।सीता अशोक वाटिका के निर्माण के बाद, माधोपुर पार्क जैन सर्किट से जुड़ चुका है। यह पार्क बिहार के जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बन गया है। इसके अलावा, यह पार्क पर्यटकों के लिए भी एक आकर्षण का केंद्र बन गया है।माधोपुर पार्क में सीता अशोक वाटिका के निर्माण से सिर्फ जमुई जिले में ही नहीं अपितु बिहार में पर्यटन को बढ़ावा मिलने की संभावना है। यह वाटिका पर्यटकों को रामायण की पौराणिक कथा से अवगत कराने में मदद करेगी। इसके अलावा, यह पार्क जैन धर्म के अनुयायियों और पर्यटकों के लिए एक आरामदायक और मनोरंजक स्थान प्रदान करेगा। पार्क में सीता अशोक वाटिका के निर्माण के बाद, सरकार को इस पार्क के विकास और प्रचार-प्रसार पर ध्यान देना चाहिए। सरकार को इस पार्क में अन्य पर्यटक सुविधाएं भी विकसित करनी चाहिए, ताकि पर्यटक यहां अधिक समय बिता सकें। इसके अलावा, सरकार को इस पार्क को देश और दुनिया भर में प्रचारित करना चाहिए, ताकि अधिक से अधिक लोग यहां आ सकें।
6. वाटिका में पौधों की प्रजातियां: महावीर वाटिका में विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे और जीव-जंतु पाए जाते हैं। यहां दर्जनों प्रजातियों के दुर्लभ पौधे लगे हैं, जिनमें अश्वगंधा, अर्जुन, नीम, जामुन, कदम, सखुआ, मौलेश्वरी, बालम खीरा, चंदन, कनक, चंपा, डीएन फिस्टल, साईकरू, प्रक्सटले, जकरेड़ा, रोमानिया पाम, आंवला, अशोक, सिल्वर, कल्प, नागकेशर, बोतल वस्त्र, रेशमी, तुमा, बीजा, साल, सफेद चंदन, रक्त चंदन, ब्राजील, जलेबी, मनीला,इमली, खैर, काला शिरीश, शाही कचनार, समुद्र फल, आदि शामिल हैं। इसके अलावा, यहां बड़ी संख्या में कीमती लकड़ी और फलों के पौधे भी लगाए गए हैं।
पर्यावरण संरक्षण के रूप में महावीर वाटिका जमुई
महावीर वाटिका जमुई एक संरक्षित वन है। यहां पर्यावरण संरक्षण के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। इस पार्क में विभिन्न प्रकार के पौधों और जीव-जंतुओं को संरक्षित किया जा रहा है। महावीर वाटिका के माध्यम से लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक किया जा रहा है। पार्क में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम और गतिविधियां आयोजित की जाती हैं, जिनका उद्देश्य लोगों को पर्यावरण संरक्षण के महत्व के बारे में बताना है।
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