हमर गांव में आईल रहे
एगो पत्रकार यूट्यूबर
दूबर-पातर छरहर रहे
लागत जैसे टूबर
फिर भी हम सम्मान कईली
गांव में आवे के कारण पुछली
एटीट्यूड से उ भरल रहे
तभी तो बतावे से इंकार कईली
हमरे मन में शंका भईले
ओकरा के प्रति फर्जी पत्रकार के
तय्यो हम बोलली ओकरा से
हमर गांव में बड़ी समस्या
आई ई टूटल सड़क दिखाई
स्कूलीया के दरकल दीवार भी
पिये के पानी नहीं रहे
दिखा द तनी ई सब सरकार के
ऊ बोलली हमरा से
इ सब हम, सब दिखाई
पर एकरा लिए लगतो रुपैया
न दैलही तो हम हाथ जोड़ो हियो भैय्या
हम बोलली ओकरा से
आप रहे एक पत्रकार
और पत्रकार के कुछ धर्म होवे है।
निष्पक्ष,निर्भीक और ईमानदार के
ई सब गुण तोरा में नाय हो
त तोअ फिर काहे के पत्रकार ?
इतना सुन ओकरा अपमान लगले
तबे ऊ हमरा धमकी देलके
जा हियाे ऐजे से अभी हम
नाए हीयो तोरा से कम
हमरे गांव में कुछ आस्तीन के सांप रहले
ओकरा से जाएके हमर नाम पता पूछलके
ओकर बाद ऊ गईले थाना
थानेदार रहे थाना में
झूठ-फूस भर दिहिले ओकर काना में
फोन करलको हमरा दारोगा
सुनाबे लगले अपन ताना-वाना
कड़क आवाज में बोललो हमरा
काहे करलिह अपमान पत्रकार के ?
आओ अभी तुम थाना ।
निडर-निर्भीक होकर हम गैलियो थाना
देखलीयो वही पत्रकरवा
दौना में खाब करब होलो खाना
एक पल त हमरा लगलो
कहीं पहुंच न गैलीयो होटल खाना
बाहर जायके जब देखलियों
लिखल हलो ही थाना
सूट-बूट और बर्दी में आकर
बैठलो उजे थानेदार
जब बोले लागलियो....
कड़क आवाज में बोललो थानेदार
चुप और खबरदार
बिना दोनों के पक्ष जानले
फैसला दे देलको पत्रकार के
और कहलको हमरा माफी मांगो
न त धारा लगा देंगे 504 के
फिर सुनेलको हमरा एक फरमान
सुधर जाओ ?
नाय तो टेररिस्ट बनाना हमर हाथ में हो
ई बतिया सुनके हमरा
दर्द आज भी दिल में हो
एकर फैसला करे सब पाठकगण
ऊपर लिखल कविता के करके मूल्यांकन।
✍️ Kartik Kusum
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