जनता के सेवक होकर
मारते हो उन्हीं को ठोकर
उनके ही कर से,
मिलते है तुम्हें पगार
और तुम करते,
उन्हीं पर अत्याचार
उनके ही महसूल से,
चलते हैं तेरे घरबार
उनके ही कर से
तुम स्वप्न देखते हो दिवा में
अपने बच्चों को पढ़ाएंगे,
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी अमेरिका में,
उनके ही कर से , बच्चो को
पास कराने की रखते हो इच्छा
संघ लोक सेवा आयोग जैसी परीक्षा ।
उनके ही कर से,
तेरे चरणपादुका की चमक नहीं जाती
उनके ही कर से
तेरी कार है ,यह चमचमाती
उनके ही कर से
तेरे कार के पहिए दौड़ते हैं।
उनके ही कर से
कार में म्यूजिक सिस्टम बजते हैं।
उनके ही कर से
कार में जगजीत सिंह की ग़ज़ल सुहानी
पर कर देने वाले जनता को
कर देते हो मानहानि ।
तनिक भी लाज नहीं तुझे
पहन यह वर्दी खाकी,
जो ऐसे काज किए।
अपने उर पर हाथ रख पूछ जरा ।
सिर्फ तू ही है सुपुत्र इस धरा
बाकी सब गुंडे-मवाली,आतंकी
क्या कभी अपने तनय को ,
आतंकी कह संबोधन करेंगे जरा ?
उन्हें भी,
एक सेकंड में आतंकी बना देंगे,
ऐसा कहने का जद्दोजेहद करेंगे जरा।
नहीं कहेंगे, नहीं करेंगे
क्योंकि ,
जगत में एक तेरा ही तो शिष्ट सुपुत्र
बाकी सभी अशिष्ट,आतंकी, कुपुत्र
आतंकी का प्रमाण पत्र देते हो
थाने में बैठकर
प्रतिष्ठित पद को कलंकित किए हो ,
अपने अपकर्म कर
तेरे इस कृत्य से ही
पुलिस पर ,
जनता का विश्वास उठ जाएगा
तेरे इस बोल से
जनता ,
खाकी वर्दी से सकुचाएगा।
विनम्र बनकर
जनता की सेवा करे
निष्पक्ष होकर कार्य करे
तभी,
जनता तुम्हें सैल्यूट करेगी।
✍️ Kartik Kusum Yadav
Behatarin bhai sahab
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