कैसे तुम्हे समझाऊं मां
क्यों रोती हो दिन -रात
गरीब होना अभिशाप नहीं
उसपर विलाप कितना सही
माना दो वक्त की रोटी
मयस्सर नहीं मुझे
मैं भूखे सो जाऊंगा
किस बात की डर है तुझे
एक दिन तेरा
यह छौना बड़ा होगा
उस दिन तेरा
जीवन सुनहरा होगा
मैं जाऊंगा परदेस कमाने
पहली कमाई से मां
तेरे चरणों का पूजन होगा
उस पर शेष बचा तो
रेशमी साड़ी, पैरों में चप्पल होगा
फिर सोचूंगा।
एक छोटा सा हो आशियाना
भोजन से थाल सजा हो
जायकेदार हो खाना
बंशी का चैन बजे
न दे कोई ताना
तूने मुझे जीवन दिया मां
दुनिया में लाया तुने ही मैय्या
खुद सोई फर्श पर
मेरे लिए मखमली शैय्या
अपने को खपा-तपा कर मां
मेरे लिए, खुद को झोंक दिया
मेरे जीवन का नौका मां
तू ही है खेवैया
तेरे स्तन का क्षीर पीकर मां
सुंदर, बलिष्ठ, बलवान बना
तेरी राजी खुशी से ही
सुंदर -सुशील बहुरिया लाऊंगा
मैं रहूंगा परदेस कमाने
बहूरिया को अच्छे ज्ञान देना
तेरे कामों में हाथ बटाएगी
एक दिन बनेगी तू दादी मां
तोतली आवाज में दादी मां
कह दौड़ेगा मेरा छौना
प्यार से आलिंगन कर,
माथे को चूमना
लाकर उसे देना
मिठाई और खिलौना
जब रोएगा मेरा छौना
आंगन में खाट बिछाना
चंदा मामा का लोरी
छौना को सुनाना
मां सजल आखों से देख,
उन्हें पास बुलाई
आलिंगन कर ,
माथे को सहलाई
प्यार से उन्हें,
रोने का सबब बताया
बेटा, अभी कल-परसो
की ही तो यह बात।
जामुन बेचने गई थी मैं हाट
एक दुष्ट पुलिसकर्मी
जामुन मांगी खैरात
मना करने मात्र से ही
टोकरी को मारी लात
बिखर गए सारे जामुन सड़क पर
साथ बिखर गए थे मेरे अरमां
मुझ जैसे अभागिन की
इस तंत्र में इज्जत कहां
पास ही बैठे थे जिला कलेक्टर
पास ही पुलिस कप्तान
मीडिया में भी सुर्खियां लगी
फिर भी कोई करवाई नही
यह सब देख दुःख होता है।
रह -रह हीय में दर्द होता है
नैतिकता बेचकर, कप्तान ने
बताया यह सब झूठ
निरपराध बताया गया उन्हे
खुश हुआ वह दुष्ट।
बेटा अब मेरा एक सपना है
तुम्हे मेहनतकश बनना है।
परदेस कमाने का ख्याल तू छोड़
पढ़ -लिख मेहनत कर जी तोड़
कलेक्टर तुम्हें बनाऊंगी
तेरे लिए दिन-रात मेहनत कर
रहूंगी आधी कपड़े आधे उदर
उससे भी कम पड़ जाएगा तो
दूसरे के घर जा बर्तन माजूंगी
नौकरानी बन ,
घर -घर जा पानी भरूंगी।
शादी,बहूरिया की ख्याल मन से निकाल
यह बनेगा बाधक और काल
क्योंकि,
बेटा यह जीवन क्षणभंगुर है
उससे भी क्षणिक तेरा यौवन है
यौवन और उनकी मादकता में न पड़ना
अपने लक्ष्य पथ पर निरंतर आगे बढ़ना
उस दिन मोक्ष और निर्वाण पा लूंगी
जिस दिन मनोकामना पूर्ण होगी।
ऐश्वर्य और पैसे पाकर
तुम जरा भी न इतराना
दिन दुखिया गरीब की
सदैव ख्याल रखना
जरूरत पड़े तो
खुद के पगार से खर्च कर देना
सेवा भाव रख,
निज स्वार्थ त्याग करना।
✍️Kartik Kusum Yadav
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