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नागी जलाशय

नागी जलाशय में पक्षियों का कलरव  गुंजित हैं, चारो दिशा में, इनके स्वर मधुर और नीरव। नभचर है वो, सुंदर है वो इनके संगीत में छुपा है, जीवन का सार। कितने दिव्य गुण समाहित है इस पंखधारी प्राण में। अमृत है, जीवनदायनी है सुमधुर है, इनके चहक रवानी है। अपनी विद्यमानता से सबको पुलकित कर नागी जलाशय को सुशोभित करते। वह दृश्य कितना मनोरम लगता, जब उजले व्योम से कोई खग शने-शने उतरता जलाशय पर। वह निश्चल-निर्भय होकर तैरता अविराम  असंख्य पंखधारी बन आते यहां मेहमान। ओ मनुज कभी तो आओ, जीवन के झंझावात को छोड़कर। आओ बैठो कुछ पल, इस जलाशय के तट पर। देखो कैसे शांत जल में खग खिलते कमल की तरह दिखते मनमोहक। उनके कलरव से गूंजता है वातावरण जैसे कोई मधुर संगीत हो रहा है प्रसारण। कभी उड़ते हैं, कभी तैरते हैं कभी मित्रों संग अटखेलियां करते हैं कभी शांत बैठकर आकाश निहारते। इनकी चंचलता देखकर चित्त होता है प्रसन्न जैसे कोई स्वर्ग का दृश्य हो रहा प्रस्फुटन। नागी जलाशय में पक्षियों का कलरव, है जीवन का एक अनमोल अनुभव। इससे मिलता है मन को शांति और सुकून, जैसे कोई दिव्य आशीर्वाद  हो रहा प्रचुर।** ✍️Kartik Kusu...

गौरैया और मैना: प्रकृति की चहचहाती विरासत, विलुप्त होने की कगार पर

परिचय : गौरैया और मैना, ये दो छोटी चिड़ियां जो कभी हमारे घरों में, खिड़कियों पर, पेड़ों पर, और हर जगह चहचहाती रहती थीं, आजकल कम ही देखने को मिलती हैं। इनकी घटती संख्या पर्यावरण के लिए एक गंभीर खतरा बन गई है, और इनके विलुप्त होने की संभावना एक चिंताजनक विषय है। गौरैया और मैना का महत्व: गौरैया और मैना पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये कीटों को खाकर फसलों को बचाती हैं, बीजों को फैलाकर पौधों के प्रजनन में मदद करती हैं, और प्रकृति के सौंदर्य का एक अभिन्न अंग हैं। इनकी चहचहाहट जीवन में खुशी और उत्साह लाती है। गौरैया और मैना के विलुप्त होने के कारण: गौरैया और मैना के विलुप्त होने के कई कारण हैं, जिनमें शामिल हैं: आवास विनाश: शहरीकरण, औद्योगिकीकरण, और कृषि के विस्तार के कारण इन पक्षियों के प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहे हैं। कीटनाशकों का उपयोग: खेती में अत्यधिक मात्रा में कीटनाशकों के उपयोग से इन पक्षियों के लिए भोजन की कमी हो रही है, और इनके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान और मौसम में बदलाव इन पक्षियों के जीवन चक्र को प्रभा...

महावीर वाटिका जमुई: बिहार की वन-पर्यावरण और पर्यटन की धरोहर

बिहार के जमुई जिले में स्थित महावीर वाटिका एक विशाल इको पार्क है। यह पार्क NH-333 के किनारे चकाई से देवघर जाने वाले मार्ग पर स्थित है। यह बिहार और झारखंड का सबसे बड़ा इको पार्क है, जिसका क्षेत्रफल 110 एकड़ है। यह जिले के चकाई प्रखंड के माधोपुर गांव में स्थित है। महावीर वाटिका का महत्व महावीर वाटिका का महत्व कई मायनों में है। यह बिहार और झारखंड के लिए एक महत्वपूर्ण पर्यटन और पर्यावरण स्थल है। यह पार्क लोगों को प्रकृति के करीब लाने और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। पर्यटन स्थल के रूप में महावीर वाटिका बिहार और झारखंड के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। यह पार्क हर साल लाखों पर्यटकों को आकर्षित करता है। पर्यटक यहां विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधों, जीव-जंतुओं और प्राकृतिक सुंदरता का आनंद ले सकते हैं। महावीर वाटिका में कई आकर्षण हैं, जिनमें शामिल हैं: 1.  कल्पवृक्ष का वन: इस पार्क में 277 से अधिक कल्पवृक्ष के पौधे लगे हैं। यह भारत का एकमात्र इको पार्क है, जहां कल्पवृक्षों का वन है। कल्पवृक्ष को हिंदू धर्म में एक पवित्र वृक्ष माना जाता है। कल्...

वन अधिकारी की विदाई

वनों की रक्षा के लिए, आपने अपना जीवन समर्पित किया, प्रकृति के संरक्षण के लिए, आपने सर्वस्व तर्पण किया आपके नेतृत्व में, वनों की स्थिति में सुधार हुआ, वनों के संरक्षण के प्रति, आपका जूनून सदैव रहा। आपकी विदाई से, वन यथावत रहेगी, या नहीं ? मुझे पता नहीं, लेकिन आपकी यादें हमेशा, हमारे दिलों में रहेंगी। आपके उज्जवल भविष्य के लिए, शुभकामनाएं देते हैं, साथ उम्मीद करते हैं, आप नई कर्मभूमि पर भी, सफलता के मंजिलो को छुएंगे। आप अपने कर्मों के प्रति  कभी विमुख नहीं होंगे । मैं तो सिर्फ याद करूंगा आपके द्वारा दिए गए गुलमोहर अब बड़े हुए, लगते कितने मनोहर उनकी हरितमा लगे जैसे मधुवन आपने ही तो सजाया यह उपवन जब-जब  लाल फूलों को देखूंगा आपकी यादों में खो जाऊंगा। आपकी यादों की अनन्त गोता में मैं याद करूंगा उन वनवासियों के बीच जो संगोष्ठी की मैं याद करूंगा वन अग्नि रोकने की जो प्रयत्न की मैं याद करूंगा यह भी, उस सघन वन की तिमिर बेला में कैसे आपने वन अग्नि पर काबू पाई। मैं याद करूंगा नागि-नकटी में आपके साथ बिताए पल मैं याद करूंगा यूरेशिया, मध्य एशिया, आर्कटिक सर्कल, रूस और उत्तरी चीन से आए पक्षिय...

दूर क्षितिज

दूर क्षितिज पूरब से लालिमा छाई । प्रकट हुए सूर्यदेव जगत में चर-अचर और खग गाई। लाल किरण की प्रस्फुटन से वनस्पतियों ने ली अंगड़ाई। गुलजार हुआ जग सारा लागे यह जहां न्यारा उषा की वेला में  निकला जब, घर से अकेला पक्षियों का कलरव  था कितना अलबेला  मंद -मंद समीर के झोंके कितना सुंदर वो भोर के मौके हर रोज बरबस ही, खिंचा चला जाता हूं। ताल -से -ताल  मिलाता हूं उस चिरैया के गायन से कितना मनहर लागे फुदक -फुदक कर, जब अपनी गान सुनाएं साथ कूके वन मे कोयलया सुन के सुहावन लागे ओकर बोलिया कागा अटारी पर चढ़ बोले पाहुन आने का संदेश सुनावे प्रकृति के मनोरम दृश्य देखकर मन मंत्र -मुग्ध हो जाए। ✍️ Kartik Kusum Yadav 

जनता के सेवक

जनता के सेवक होकर मारते हो उन्हीं को ठोकर उनके ही कर से, मिलते है तुम्हें पगार और तुम करते,  उन्हीं पर अत्याचार उनके ही महसूल से, चलते हैं तेरे घरबार उनके ही कर से तुम स्वप्न देखते हो दिवा में अपने बच्चों को  पढ़ाएंगे, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी अमेरिका में, उनके ही कर से , बच्चो को  पास कराने की रखते हो इच्छा संघ लोक सेवा आयोग जैसी परीक्षा । उनके ही कर से, तेरे चरणपादुका की चमक नहीं जाती उनके ही कर से तेरी कार है ,यह चमचमाती उनके ही कर से तेरे कार के पहिए दौड़ते हैं। उनके ही कर से कार में म्यूजिक सिस्टम बजते हैं। उनके ही कर से कार में जगजीत सिंह की ग़ज़ल सुहानी पर  कर देने वाले  जनता को कर देते हो मानहानि  । तनिक भी लाज नहीं तुझे  पहन यह वर्दी खाकी, जो ऐसे काज किए। अपने उर पर हाथ रख पूछ जरा । सिर्फ तू ही है सुपुत्र  इस धरा  बाकी सब गुंडे-मवाली,आतंकी क्या कभी अपने तनय को , आतंकी कह  संबोधन करेंगे जरा ? उन्हें भी, एक सेकंड में आतंकी बना देंगे, ऐसा कहने का जद्दोजेहद करेंगे जरा। नहीं कहेंगे, नहीं करेंगे क्योंकि , जगत में एक तेरा ही तो शिष्ट सुपुत...

बिहार सरकार की मुख्यमंत्री निशक्तता व दिव्यांगजन पेंशन योजना क्या है ?

बिहार सरकार की मुख्यमंत्री निशक्तता योजना एक सामाजिक सुरक्षा योजना है जो राज्य के निशक्त व्यक्तियों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है। इस योजना के तहत, 40% या उससे अधिक विकलांगता वाले किसी भी आय एवं आयु वर्ग के व्यक्ति को प्रतिमाह 400 रुपये की पेंशन प्रदान की जाती है। इस योजना का उद्देश्य राज्य के निशक्त व्यक्तियों को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाना है। इस योजना के तहत प्रदान की जाने वाली पेंशन से निशक्त व्यक्तियों को अपने दैनिक जीवन की जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलती है। मुख्यमंत्री निशक्तता योजना के लिए पात्रता मानदंड निम्नलिखित हैं: आवेदक बिहार राज्य का स्थायी निवासी होना चाहिए। आवेदक की आयु 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए। आवेदक की विकलांगता 40% या उससे अधिक होनी चाहिए। मुख्यमंत्री निशक्तता योजना के लिए आवेदन करने के लिए, आवेदक को निम्नलिखित दस्तावेज जमा करने होंगे: पहचान प्रमाण (आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, पासपोर्ट आदि) निवास प्रमाण (राशन कार्ड, बिजली बिल, पानी का बिल आदि) विकलांगता प्रमाण पत्र मुख्यमंत्री निशक्तता योजना के लिए आवेदन पत्र बिहार समाज कल्याण विभाग की वेबसाइट से डाउनलोड किय...