नागी जलाशय में पक्षियों का कलरव
गुंजित हैं, चारो दिशा में,
इनके स्वर मधुर और नीरव।
नभचर है वो, सुंदर है वो
इनके संगीत में छुपा है, जीवन का सार।
कितने दिव्य गुण समाहित है
इस पंखधारी प्राण में।
अमृत है, जीवनदायनी है
सुमधुर है, इनके चहक रवानी है।
अपनी विद्यमानता से सबको पुलकित कर
नागी जलाशय को सुशोभित करते।
वह दृश्य कितना मनोरम लगता,
जब उजले व्योम से कोई खग
शने-शने उतरता जलाशय पर।
वह निश्चल-निर्भय होकर तैरता अविराम
असंख्य पंखधारी बन आते यहां मेहमान।
ओ मनुज कभी तो आओ,
जीवन के झंझावात को छोड़कर।
आओ बैठो कुछ पल,
इस जलाशय के तट पर।
देखो कैसे शांत जल में खग
खिलते कमल की तरह दिखते मनमोहक।
उनके कलरव से गूंजता है वातावरण
जैसे कोई मधुर संगीत हो रहा है प्रसारण।
कभी उड़ते हैं, कभी तैरते हैं
कभी मित्रों संग अटखेलियां करते हैं
कभी शांत बैठकर आकाश निहारते।
इनकी चंचलता देखकर चित्त होता है प्रसन्न
जैसे कोई स्वर्ग का दृश्य हो रहा प्रस्फुटन।
नागी जलाशय में पक्षियों का कलरव,
है जीवन का एक अनमोल अनुभव।
इससे मिलता है मन को शांति और सुकून,
जैसे कोई दिव्य आशीर्वाद हो रहा प्रचुर।**
✍️Kartik Kusum Yadav
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