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दूर क्षितिज

दूर क्षितिज पूरब से लालिमा छाई । प्रकट हुए सूर्यदेव जगत में चर-अचर और खग गाई। लाल किरण की प्रस्फुटन से वनस्पतियों ने ली अंगड़ाई। गुलजार हुआ जग सारा लागे यह जहां न्यारा उषा की वेला में  निकला जब, घर से अकेला पक्षियों का कलरव  था कितना अलबेला  मंद -मंद समीर के झोंके कितना सुंदर वो भोर के मौके हर रोज बरबस ही, खिंचा चला जाता हूं। ताल -से -ताल  मिलाता हूं उस चिरैया के गायन से कितना मनहर लागे फुदक -फुदक कर, जब अपनी गान सुनाएं साथ कूके वन मे कोयलया सुन के सुहावन लागे ओकर बोलिया कागा अटारी पर चढ़ बोले पाहुन आने का संदेश सुनावे प्रकृति के मनोरम दृश्य देखकर मन मंत्र -मुग्ध हो जाए। ✍️ Kartik Kusum Yadav 

जनता के सेवक

जनता के सेवक होकर मारते हो उन्हीं को ठोकर उनके ही कर से, मिलते है तुम्हें पगार और तुम करते,  उन्हीं पर अत्याचार उनके ही महसूल से, चलते हैं तेरे घरबार उनके ही कर से तुम स्वप्न देखते हो दिवा में अपने बच्चों को  पढ़ाएंगे, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी अमेरिका में, उनके ही कर से , बच्चो को  पास कराने की रखते हो इच्छा संघ लोक सेवा आयोग जैसी परीक्षा । उनके ही कर से, तेरे चरणपादुका की चमक नहीं जाती उनके ही कर से तेरी कार है ,यह चमचमाती उनके ही कर से तेरे कार के पहिए दौड़ते हैं। उनके ही कर से कार में म्यूजिक सिस्टम बजते हैं। उनके ही कर से कार में जगजीत सिंह की ग़ज़ल सुहानी पर  कर देने वाले  जनता को कर देते हो मानहानि  । तनिक भी लाज नहीं तुझे  पहन यह वर्दी खाकी, जो ऐसे काज किए। अपने उर पर हाथ रख पूछ जरा । सिर्फ तू ही है सुपुत्र  इस धरा  बाकी सब गुंडे-मवाली,आतंकी क्या कभी अपने तनय को , आतंकी कह  संबोधन करेंगे जरा ? उन्हें भी, एक सेकंड में आतंकी बना देंगे, ऐसा कहने का जद्दोजेहद करेंगे जरा। नहीं कहेंगे, नहीं करेंगे क्योंकि , जगत में एक तेरा ही तो शिष्ट सुपुत...

बिहार सरकार की मुख्यमंत्री निशक्तता व दिव्यांगजन पेंशन योजना क्या है ?

बिहार सरकार की मुख्यमंत्री निशक्तता योजना एक सामाजिक सुरक्षा योजना है जो राज्य के निशक्त व्यक्तियों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है। इस योजना के तहत, 40% या उससे अधिक विकलांगता वाले किसी भी आय एवं आयु वर्ग के व्यक्ति को प्रतिमाह 400 रुपये की पेंशन प्रदान की जाती है। इस योजना का उद्देश्य राज्य के निशक्त व्यक्तियों को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाना है। इस योजना के तहत प्रदान की जाने वाली पेंशन से निशक्त व्यक्तियों को अपने दैनिक जीवन की जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलती है। मुख्यमंत्री निशक्तता योजना के लिए पात्रता मानदंड निम्नलिखित हैं: आवेदक बिहार राज्य का स्थायी निवासी होना चाहिए। आवेदक की आयु 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए। आवेदक की विकलांगता 40% या उससे अधिक होनी चाहिए। मुख्यमंत्री निशक्तता योजना के लिए आवेदन करने के लिए, आवेदक को निम्नलिखित दस्तावेज जमा करने होंगे: पहचान प्रमाण (आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, पासपोर्ट आदि) निवास प्रमाण (राशन कार्ड, बिजली बिल, पानी का बिल आदि) विकलांगता प्रमाण पत्र मुख्यमंत्री निशक्तता योजना के लिए आवेदन पत्र बिहार समाज कल्याण विभाग की वेबसाइट से डाउनलोड किय...

भारत मां के लाल

भारत मां के लाल हैं हम दुश्मन के लिए काल है हम अनायास कोई छेड़े मुझे उसके लिए भौकाल है हम मेरे वैभव और प्रगति देख दुनिया मुझे सलाम करें यह माटी हिंद सनातन की   बच्चा-बच्चा श्री राम कहे संत ऋषि - मुनि की परंपरा पथ - प्रदर्शक  रहे सदा राम-कृष्ण की धुनी लगे  गंगा में हर -हर गंगेय। महाकाल भस्म लगाए बैठे कैलाश शीश झुकाएं यहां कान्हा की टोली रासलीला करें राधा  होली खेले यहां भारत जीवन दर्शन परंपरा करे मानवता को तर्पण सदा विश्व बंधुता की बात करें कल्याण भाव रख आगे बढ़े कोई आंख दिखाए गर घोप दू सीने में खंजर बन जाऊं  मैं काल क्योंकि, भारत मां के लाल हैं हम दुश्मन के लिए काल है हम। ✍️ kartik kusum yadav 

गरीबी अभिशाप नहीं

कैसे तुम्हे समझाऊं मां क्यों रोती हो दिन -रात गरीब होना अभिशाप नहीं उसपर विलाप कितना सही माना दो वक्त की रोटी मयस्सर नहीं  मुझे मैं भूखे सो जाऊंगा किस बात की डर है तुझे एक दिन तेरा यह छौना बड़ा होगा उस दिन तेरा  जीवन सुनहरा होगा मैं जाऊंगा परदेस कमाने पहली कमाई से मां तेरे चरणों का पूजन होगा उस पर शेष बचा तो रेशमी साड़ी, पैरों में चप्पल होगा फिर सोचूंगा। एक छोटा सा हो आशियाना भोजन से थाल सजा हो जायकेदार हो खाना बंशी का चैन बजे न दे कोई ताना तूने मुझे जीवन दिया मां दुनिया में लाया तुने ही मैय्या खुद सोई फर्श पर मेरे लिए मखमली शैय्या अपने को खपा-तपा कर मां मेरे लिए, खुद को झोंक दिया  मेरे जीवन का नौका  मां तू ही है खेवैया तेरे स्तन का क्षीर पीकर मां सुंदर, बलिष्ठ, बलवान बना तेरी राजी खुशी से ही सुंदर -सुशील बहुरिया लाऊंगा  मैं रहूंगा परदेस कमाने  बहूरिया को अच्छे ज्ञान देना तेरे कामों में हाथ बटाएगी  एक दिन बनेगी तू दादी मां  तोतली आवाज में   दादी मां  कह दौड़ेगा मेरा छौना  प्यार से आलिंगन कर, माथे को चूमना  लाकर  उसे देना...

रूठे बदरा

सावन में रूठे बदरा उड़ रहे हैं धूल प्रभु तेरी कैसी लीला बगिया के मुरझाए फूल रंग -बिरंगी तितलियां भी  मंडराना गई भूल। सूखी तरुवर, सूखी लता सूखी यह धरती माता धरती की हरीतिमा बिन वर्षा बिन पानी कहां छाती पीट रहा कृषक अब अन्न उगाए कहां  यह मनुज का पाप कृत्य या आपदा यह प्रकृतिक समझ नहीं आ रहा बतला दो कोई जरा पथिक क्यों सावन में रूठे बदरा क्यों उड़ रहे हैं धूल ? ✍️ kartik Kusum Yadav 

बिहार में बाढ़ का मुख्य कारण

भारत के मौसम विभाग तथा राष्ट्रीय बाढ़ आयोग के अनुसार बाढ़ वह स्थिति है, जब नदी का जल खतरे के निशान के ऊपर अपवाहित होने लगती है। खतरे का निशान वर्षा ऋतु के औसत वर्षा और औसत अफवाह पर आधारित है। 20 से 30 सेंटीमीटर औसत वर्षा तक का लिया जाता है। वर्तमान समय में बाढ़ बिहार की सबसे बड़ी प्रकृति समस्या है। इसके कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का दो तिहाई भाग बाढ़ से प्रभावित रहता है। बिहार के कुल 28 जिले बाढ़ से प्रभावित है। हालांकि 2007 में 19 जिले मात्र बाढ़ से प्रभावित हुआ था। यहां बाढ़ एक प्राकृतिक विपदा जो निरंतर धन- जन की अपार क्षति पहुंचाती है। उत्तर बिहार की प्राय: सभी नदियां जिनमें कोसी, गंडक बागमती, कमला- बलान, महानंदा, अधवारा समूह की नदियां तथा भुतही-बलान आदि प्रमुख है जो हिमालय से निकलती है तथा नेपाल के पर्वतीय क्षेत्र से होते हुए इस राज्य में प्रवेश करती है यह नदियां अपने साथ बहुत अधिक सिल्ट (गाद) लाती है और अपनी तेज धारा के कारण किनारों को अप्रत्याशित रूप से कटाव करती है। जब तब इसकी धारा बदल भी जाती है जिससे इस क्षेत्र में बाढ़ का विनाशकारी रूप प्रकट होता। दक्षिणी मैदान (गंगा के दक्षिणी मै...