तुझे लड़ना है, मुझे प्यार बांटना है। तुझे तोड़ना है, मुझे जोड़ना है। तेरी वाणी असभ्य, मेरी सौम्य और सभ्य। तू भौतिकता को सर्वोच्च माना, मेरे लिए तुच्छ जहाँ सारा। तेरे संस्कार तुझे मुबारक हो, आओ संवाद करें, सबकुछ यहाँ बराबर हो। क्यों रूठे हो एक भूखंड के खातिर? यह तो किराए का है, आज तेरी तो कल किसी और की होगी। अवसर मिला है क्षणिक, मिलबांट कर उपभोग करो, यही है इसका गणित। इतनी बौद्धिकता भी नहीं, तो तू उपभोग के अधिकारी नहीं। त्याग करो, वत्स, लोभ, मोह, मद, मत्स का। अंगीकार करो, वत्स, सत्य, न्याय, और सच का। जिसने इसे स्वीकारा है, वह फला-फूला और खुद को संवारा है। जीवन के आखिरी पड़ाव पर सही, कुछ करो आज और अभी यहीं। घृणा की धधकती ज्वाला से बाहर निकलो, अपने कोमल नयन संग मुस्...