नाम देव, काम ऐब
बातों में छल, दिखे फरेब।
देव का अर्थ, देवत्व से भरा,
शब्दों में उसकी, महिमा गहरा।
कैसी विडंबना है इस संसार की,
मनुज का नाम रखा ‘देव’ यहाँ,
मुख से निकले, शब्द अहंकारी,
गर्व से पढ़े, गालियाँ यहाँ।
थू-थू कर सब थूकें उसे,
कहे, "अरे मूर्ख! मत पढ़ गाली।"
संभाल मर्यादा, कर ख़्याल,
ईश्वर से कर, तू एक वादा।
मत कर रसपान गाली का,
रख संजीवनी, वाणी का।
✍️ कार्तिक कुसुम यादव
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