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गरीबी अभिशाप नहीं

कैसे तुम्हे समझाऊं मां क्यों रोती हो दिन -रात गरीब होना अभिशाप नहीं उसपर विलाप कितना सही माना दो वक्त की रोटी मयस्सर नहीं  मुझे मैं भूखे सो जाऊंगा किस बात की डर है तुझे एक दिन तेरा यह छौना बड़ा होगा उस दिन तेरा  जीवन सुनहरा होगा मैं जाऊंगा परदेस कमाने पहली कमाई से मां तेरे चरणों का पूजन होगा उस पर शेष बचा तो रेशमी साड़ी, पैरों में चप्पल होगा फिर सोचूंगा। एक छोटा सा हो आशियाना भोजन से थाल सजा हो जायकेदार हो खाना बंशी का चैन बजे न दे कोई ताना तूने मुझे जीवन दिया मां दुनिया में लाया तुने ही मैय्या खुद सोई फर्श पर मेरे लिए मखमली शैय्या अपने को खपा-तपा कर मां मेरे लिए, खुद को झोंक दिया  मेरे जीवन का नौका  मां तू ही है खेवैया तेरे स्तन का क्षीर पीकर मां सुंदर, बलिष्ठ, बलवान बना तेरी राजी खुशी से ही सुंदर -सुशील बहुरिया लाऊंगा  मैं रहूंगा परदेस कमाने  बहूरिया को अच्छे ज्ञान देना तेरे कामों में हाथ बटाएगी  एक दिन बनेगी तू दादी मां  तोतली आवाज में   दादी मां  कह दौड़ेगा मेरा छौना  प्यार से आलिंगन कर, माथे को चूमना  लाकर  उसे देना...

रूठे बदरा

सावन में रूठे बदरा उड़ रहे हैं धूल प्रभु तेरी कैसी लीला बगिया के मुरझाए फूल रंग -बिरंगी तितलियां भी  मंडराना गई भूल। सूखी तरुवर, सूखी लता सूखी यह धरती माता धरती की हरीतिमा बिन वर्षा बिन पानी कहां छाती पीट रहा कृषक अब अन्न उगाए कहां  यह मनुज का पाप कृत्य या आपदा यह प्रकृतिक समझ नहीं आ रहा बतला दो कोई जरा पथिक क्यों सावन में रूठे बदरा क्यों उड़ रहे हैं धूल ? ✍️ kartik Kusum Yadav 

बिहार में बाढ़ का मुख्य कारण

भारत के मौसम विभाग तथा राष्ट्रीय बाढ़ आयोग के अनुसार बाढ़ वह स्थिति है, जब नदी का जल खतरे के निशान के ऊपर अपवाहित होने लगती है। खतरे का निशान वर्षा ऋतु के औसत वर्षा और औसत अफवाह पर आधारित है। 20 से 30 सेंटीमीटर औसत वर्षा तक का लिया जाता है। वर्तमान समय में बाढ़ बिहार की सबसे बड़ी प्रकृति समस्या है। इसके कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का दो तिहाई भाग बाढ़ से प्रभावित रहता है। बिहार के कुल 28 जिले बाढ़ से प्रभावित है। हालांकि 2007 में 19 जिले मात्र बाढ़ से प्रभावित हुआ था। यहां बाढ़ एक प्राकृतिक विपदा जो निरंतर धन- जन की अपार क्षति पहुंचाती है। उत्तर बिहार की प्राय: सभी नदियां जिनमें कोसी, गंडक बागमती, कमला- बलान, महानंदा, अधवारा समूह की नदियां तथा भुतही-बलान आदि प्रमुख है जो हिमालय से निकलती है तथा नेपाल के पर्वतीय क्षेत्र से होते हुए इस राज्य में प्रवेश करती है यह नदियां अपने साथ बहुत अधिक सिल्ट (गाद) लाती है और अपनी तेज धारा के कारण किनारों को अप्रत्याशित रूप से कटाव करती है। जब तब इसकी धारा बदल भी जाती है जिससे इस क्षेत्र में बाढ़ का विनाशकारी रूप प्रकट होता। दक्षिणी मैदान (गंगा के दक्षिणी मै...

मोदी को फ्रांस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस के सर्वोच्च नागरिक और सैन्य सम्मान ग्रैंड क्रॉस ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर से सम्मानित होने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बन गए हैं। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने उन्हें इस सम्मान से नवाजा। मोदी को गुरुवार को एलिसी पैलेस (फ्रांस का राष्ट्रपति आवास) में इस सम्मान से नवाजा गया। इससे पहले दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला, ब्रिटेन के महाराजा चार्ल्स (तत्कालीन प्रिंस ऑफ वेल्स), जर्मनी की पूर्व चांसलर एंजेला मर्केल, संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव बुतरस बुतरस-घाली को इससे नवाजा जा चुका है। मोदी दो दिवसीय यात्रा पर गुरुवार को पेरिस पहुंचे थे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने पुरस्कार समारोह की तस्वीरें ट्विटर पर साझा कीं। उन्होंने लिखा कि यह साझेदारी की भावना का प्रतीक है। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट करते हुए कहा, मैं बेहद विनम्रता के साथ ग्रैंड क्रॉस ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर को स्वीकार करता हूं। यह भारत के 140 करोड़ लोगों के लिए सम्मान है। मैं इसके लिए राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, फ्रांस की सरकार और वहां के लोगों का आभार व्यक्त करता हूं। यह भ...

बिहार में गरीबी

निर्धनता का अर्थ उस सामाजिक आर्थिक स्थिति से है जिसे समाज का एक भाग जीवन स्वास्थ्य एवं दक्षता के लिए न्यूनतम उपभोग आवश्यकताओं को जुटाने में असमर्थ होता है। जो समाज का बहुत बड़ा भाग न्यूनतम जीवन स्तर से वंचित होकर केवल निर्वाह स्तर पर गुजारा करता है तो इसे व्यापक निर्धनता (Mass Poverty) कहा जाता है। भारत सहित तीसरी दुनिया के देशों में ऐसी ही निर्धनता पाई जाती है। निर्धनता की गणना सापेक्ष एवं निरपेक्ष दोनों रूपों में की जाती है। सापेक्ष दृष्टि से निर्धनता का मापन विभिन्न वर्गों/देशों के निर्वाह स्तर की तुलना करके की जाती है। निर्वाह स्तर का अर्थ है। आय उपभोग व्यय निरपेक्ष दृष्टि से निर्धनता मापन में निर्वाह की न्यूनतम जरूरतों भोजन, वस्त्र, कैलोरी, आवास आदि को रखा जाता है। जिन्हें यह न्यूनतम चीजें भी उपलब्ध नहीं होती है, उन्हें गरीब कहा जाता है। बिहार में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की सामाजिक अधिकारिता एवं रोजगार मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट 2021-22 के अनुसार 39.3% है। राज्य में रोजगार का निम्न स्तर और मजदूरी की निम्न दर है। बिहार में गरीबी का स्वरूप अन्य विकसित प्रदेशों के अपेक्षा...

चिड़ियां और मजदूर

चिड़िया गा रही है खेतों की मेड़ पर गीत वह गा रही मजदूरों पर ए मजदूर फसल काटने वाले व्यथा मेरी जरा तू सुनना सारा फसल तू काटना पर उनके बाली न चुनना शेष बचेंगे वह मेरे लिए अन्न सारा फसल ले जाने पर मैं उनका स्वाद चखऊंगा चोच में दबा ले घोसले में अगर तू उसे भी ले जाएंगे अन्न तलाश में भटक मर जाएंगे मेरे ऊपर यही उपकार करना सारा फसल तू काटना पर उनके बाली ना चुनना सुन मजदूर उनकी गीत उनके मन में भी आई संगीत एक छोटी चिड़िया तू भी सुनना व्यथा मेरी भी मैं हूं मालिक की दासा मैं भी रहता हूं हरदम तुम्हारी तरह भूखा प्यासा मैं इन्हें ले जाकर खलिहान के ऊपर लगाऊंगा ढेर बदले में मिलेंगे अन्न मुझे सैर दो सैर आना तू खलियानों पर खाना बैठ लगे ढेरों पर चिड़िया ने फिर गाकर बोली ना ना मैं ना आऊंगी तेरी बातों में मैं ना भर्मआऊंगी सुना है तेरा मालिक है कंजूस दाने की लालच देकर मुझे पकड़ लेगा वह कंजूस हम पिंजर बंद हो जाएंगे सारा चैन मुझसे छीन जाएगा मेरी दुनिया सिमट कर उस पिंजरे में बंद हो जाएंगे फिर इस नील गगन में  उड़ने की परिकल्पना सिर्फ स्वप्न होगी उस झर- झर कर झरने वाली निर्झरिणी का नीर चखना स्वप्न होगी नहीं- ...

पत्रकारिता

एक समय था   पत्रकारिता का। पत्रकार की कलम में , ताकत हुआ करता था  कलम से लिखा गया एक -एक शब्द राजनेताओं -अधिकारियों   के  कुर्सी हिला देता था। एक -एक शब्द तीर के समान चुभती लाख खरीददार होने के बावजूद उस समय की पत्रकारिता बीके  नहीं बिकती  जब देश गुलामी  के जंजीरों में जकड़ा था अंग्रेजी हुकूमत के पांव उखाड़ने में  पत्रकारिता का अहम  भूमिका था आज डिजिटल युग के तथाकथित पत्रकार जिसकी लगी है, लंबी कतार  दूर-दूर तक न है, पत्रकारिता से नाता पत्रकारिता की आड़ में  सिर्फ धौंस जमाता  पत्रकार बने घूमे फिरते हैं गांव -गली मोहल्ले  सच कहे तो इनको पत्रकारिता का अर्थ  नहीं पता जिस कारण ही   दिन -प्रतिदिन पत्रकारिता की छवि   धूमिल हुई   लोगो का भरोसा पत्रकारिता   पर कम हुई। आए दिन समाचार पत्रों में खबरें छपती है। अमुक पत्रकार , किसी के साथ ब्लैकमेल किया ऐसी सुर्खियां लगती है। अपनी धाक जमाने के लिए गाड़ी पर प्रेस लिखाए  गाड़ी पर नंबर की जरूरत नहीं हेलमेट न पहने  कोई बात नहीं  अगर कोई पुलिस रोके ...