शक न करअ,
जिद पर न अड़अ,
ई बुरी वला ह।
सपना जे तोहार बा,
मन में जे इरादा बा,
उहो निक न ह।
मन में जे ईर्ष्या बा,
जीवन में ऊहापोह बा,
ओकर कारण तू ही ह।
ई काल चक्र ह जीवन के,
ई नित्य नवीन परिवर्तनशील ह।
तू कहा फसल बाड़नऽ
ई भौतिक वस्तु के मोह-माया में?
ई नश्वर, क्षणभंगुर ह।
एकरा जानअऽ, एकरा मानअऽ।
जिह्वा देलहन भोले बाबा,
त तनी शुभ-शुभ बोलअऽ।
बतइयां करे से पहिले तनीक,
हृदय के तराजू पर तोलअऽ।
अपन अहंकार के त्यागअ$,
प्रेम-दुलार के रंग में रंग जा।
प्रेम में ऐसे डूबअऽ,
जैसे हर जन आपन लागे।
✍️ Kartik Kusum Yadav
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