स्वर्णिम इतिहास है मेरा
कर्म है महान
अपनी गाथा क्या लिखूं
जन-जन जाने मेरा काम
स्थापना काल से ही
कर रहा हूं राष्ट्र पुनर्निर्माण
छात्र शक्ति का हूं परिचायक
या उनसे जुड़ी हो कोई शिकायत
करता हूं त्वरित समाधान
स्वर्णिम इतिहास है मेरा
कर्म है महान
छात्र शक्ति ही राष्ट्र शक्ति है।
छात्र ही है मां भारती की संतान
तू ही कर्णधार इस देश का
यथार्थ के मार्गो पर चलेगा
अपने कर्मों से तू।
सिंचित करेगा, देश की शान
स्वर्णिम इतिहास है मेरा
कर्म है महान
छात्र हितों की सिर्फ उपमा देना
अब तो मेरे लिए बेईमानी होगी
विभिन्न क्षेत्रों में योगदान है हमारा
उनकी भी सराहना करनी होगी
जम्मू कश्मीर से कन्याकुमारी
या कच्छ से हो कामरूप तक
कर्म भूमि रही सदा यह मेरा
हुं मैं भारत के कोने-कोने तक
बांग्लादेश की अवैध घुसपैठ
या कश्मीर की धारा तीन सौ सत्तर
जिन मुद्दों को उठाया
देखो आज है कितना अंतर
चुनौतियां अभी खत्म नहीं हुई
राष्ट्र विरोधी शक्तियां पुनः उत्पन्न हुई
साजिशे चल रही निरंतर
वो बैठा है मुल्क के बाहर और अंदर
नापाक इरादे है उनके
करेंगे भारत को टुकड़े- टुकड़े
ढाल बन जाऊंगा मां भारती का
आंचल से लिपट कर
तू कितना भी हिंसा कर ले
या आतंक फैलाए बम फोड़ कर
मैं तनिक भी ना डरूंगा
चाहे तू कर दे मेरा सिर कलम
मैं वीर सपूत हूं हिंद का
तनिक भी न पीछे हटूंगा
फौलादी हिम्मते है मेरी
मुझसे टकराने का भूल न करना
हश्र बहुत बुरा होगा
अगर तू हिंद को छेड़ेगा
मेरी सलाह एक तू मान
अपनी कुकृत को दे विराम
लौट आ मुख्यधारा में
कर भारत का जय-जय गान
क्योंकि
स्वर्णिम इतिहास है मेरा
कर्म है महान
✍️ Kartik Kusum
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