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परिवर्तन

परिवर्तन संसार का नियम चक्र चलता  जीवन-मरन  शिशुकाल से जवानी तक, जवानी से ये बूढ़े तन,  बीत जाते अभाव में, यहां उनका सारा जीवन  जन्म लेती नई पीढ़ियां उनकी  फिर चल पड़ता यह चक्र जीवन-मरण  कुंठाए छीन लेती कभी-कभी  बीच रास्ते में ही उनका जीवन परित्याग कर देते अपना जीवन कर वह आत्महत्या । कारण पता चलता।  भुखमरी, गरीबी, कर्ज, के बोझ में दबा था किसने हक छीनी इसकी ? क्यों यह अपनी जान गवाई ? किस दर्द दुखों में दवा था ? जो इसने यह कदम उठाई इस अन्याय के खिलाफ कौन आवाज उठाएगा ? इन गरीबों की हक के लिए कौन सामने आएगा ? क्या,है कोई ऐसे नेता  जो इस दुखियो का दर्द समझ सके? या है कोई ऐसा संगठन  गरीबों का रूदन-कंद्रन रोक सके? ✍️ Kartik Kusum 

अभाविप

स्वर्णिम इतिहास है मेरा कर्म है महान अपनी गाथा क्या लिखूं जन-जन जाने मेरा काम स्थापना काल से ही  कर रहा हूं राष्ट्र पुनर्निर्माण छात्र शक्ति का हूं परिचायक या उनसे जुड़ी हो कोई शिकायत करता हूं त्वरित समाधान स्वर्णिम इतिहास है मेरा कर्म है महान छात्र शक्ति ही राष्ट्र शक्ति है। छात्र ही है मां भारती की संतान तू ही कर्णधार इस देश का यथार्थ के मार्गो पर चलेगा  अपने कर्मों से तू। सिंचित करेगा, देश की शान  स्वर्णिम इतिहास है मेरा कर्म है महान छात्र हितों की सिर्फ उपमा देना  अब तो मेरे लिए बेईमानी होगी विभिन्न क्षेत्रों में योगदान है हमारा उनकी भी सराहना करनी होगी जम्मू कश्मीर से कन्याकुमारी  या कच्छ से हो कामरूप तक कर्म भूमि रही सदा यह मेरा हुं मैं भारत के कोने-कोने तक बांग्लादेश की अवैध घुसपैठ या कश्मीर की धारा तीन सौ सत्तर जिन मुद्दों को उठाया देखो आज है कितना अंतर  चुनौतियां अभी खत्म नहीं हुई राष्ट्र विरोधी शक्तियां पुनः उत्पन्न हुई साजिशे चल रही निरंतर  वो बैठा है मुल्क के बाहर और अंदर नापाक इरादे है उनके  करेंगे भारत को टुकड़े- टुकड़े  ढाल बन ...