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Showing posts from September, 2022

परिवर्तन

परिवर्तन संसार का नियम चक्र चलता  जीवन-मरन  शिशुकाल से जवानी तक, जवानी से ये बूढ़े तन,  बीत जाते अभाव में, यहां उनका सारा जीवन  जन्म लेती नई पीढ़ियां उनकी  फिर चल पड़ता यह चक्र जीवन-मरण  कुंठाए छीन लेती कभी-कभी  बीच रास्ते में ही उनका जीवन परित्याग कर देते अपना जीवन कर वह आत्महत्या । कारण पता चलता।  भुखमरी, गरीबी, कर्ज, के बोझ में दबा था किसने हक छीनी इसकी ? क्यों यह अपनी जान गवाई ? किस दर्द दुखों में दवा था ? जो इसने यह कदम उठाई इस अन्याय के खिलाफ कौन आवाज उठाएगा ? इन गरीबों की हक के लिए कौन सामने आएगा ? क्या,है कोई ऐसे नेता  जो इस दुखियो का दर्द समझ सके? या है कोई ऐसा संगठन  गरीबों का रूदन-कंद्रन रोक सके? ✍️ Kartik Kusum