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नयना तोर निरखत

नयना तोर निरखत, सपना देखत, सुघर रूपवा, गोरी तोर चमकत। बलखत केशिया, जान मारे हमरा, तोर बिना हम हियो अधूरा। सूरतिया बस गइल जब से दिल में, मन न लागे हमरा कोनो महफिल में। ई दिलवा तो दीवाना हो रानी, तोहर प्यार में । बाटियां निहारो हियो, तोरे इंतजार में। जे दिन तोर मिलन न होई, ओ दिन मनवा खूबे रोई। तोहर याद में बइठल रहि जाई, अँखियन में तैरै तोरे छविया। मन में ऊ चेहरा, बेरी-बेरी आवे, ऊ सुघर रूपवा, केतना सतावे। नील नयनवा तोर, नशा करावे, ऊपर से चश्मा, जान मार जाए। देहिया के अंगिया, नेहिया बढ़ावे, हमर सपनवा में बस तू ही आवे। मन न लागे एको पहर तोर बिन, रतिया कटे अब तारे गिन गिन। मन करे प्रेम के पंछी बन उड़ जियो, तोहर अटारिया पे आ के बइठी जियो। दिलवा के बतीयां तोहरे बतिईयों। केतना प्यार बा हमर दिल में एक पल बता दी तोह से मिल के। नयना तोर निरखत, सपना देखत, सुघर रूपवा, गोरी तोर चमकत। ✍️ रचनाकार: कार्तिक कुसुम