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Showing posts from September, 2024

प्रभु

प्रभु तू हर ले,   काम, क्रोध, वासना को।   प्रभु तू हर ले,   छल, कपट, लोभ तृष्णा को। दिव्य मन, चंचल हो चितवन,   ऐसी वर दे, ऐसा हो तन-मन।   सद मार्ग पर चलकर नित्य,   अर्थपूर्ण हो मेरा कृत्य। प्रीत ऐसी हो वतन से,   खुद को अर्पण कर दूं, वतन पे।   आलस्य, निर्जीवता त्याग कर,   सजीवता का अंगीकार करू। प्रभु के चरणों में,   प्रभु का जय-जयकार करू।   मांगू हर चीज उनसे,   भारत देश के कल्याण का। सत्य, अहिंसा का हो वास,   हर हृदय में हो विश्वास।   धर्म और कर्म की हो साधना,   संविधान की हो आराधना। जन-जन में जगे नई आशा,   सपनों का भारत हो अभिलाषा।   भ्रष्टाचार से दूर हो हर जन,   सुचिता हो भारत की पहचान। विज्ञान, कला और नवाचार,   शिक्षा में हो अपार विस्तार।   सद्भाव, समानता, हो स्वाभिमान,   हर नर-नारी का हो सम्मान। पर्यावरण का हो संरक्षण,   हरे-भरे हों वन और उपवन।   जल, मृदा, औ...